थोड़ी सी बेवफाई sentence in Hindi
pronunciation: [ thodei si bevefaae ]
Examples
- रविवार को फरमाइश से अस्सी के दशक के गीत अधिक चुने गए एक-दो नए गीतों के साथ-थोड़ी सी बेवफाई, स्वयंवर, एक बार फिर, विरासत, कृष, हलचल, बरसात की एक रात।
- रविवार को फरमाइश से अस्सी के दशक के गीत अधिक चुने गए एक-दो नए गीतों के साथ-थोड़ी सी बेवफाई, स्वयंवर, एक बार फिर, विरासत, कृष, हलचल, बरसात की एक रात।
- इक्का-दुक्का उदाहरण तो अभी याद हैं, बिन फेरे हम तेरे-एक परिवार की त्रासदी की कहानी, जानी दुश्मन-गांव, ईर्ष्या, दुष्मनी, रहस्य, थोड़ी सी बेवफाई-पति-पत्नी, विश्वास और प्यार।
- बाजार की गजल, आहिस्ता आहिस्ता, कभी-कभी फिल्मो के शीर्षक गीत (नज्म), थोड़ी सी बेवफाई और उमराव जान से पुरस्कृत रचना-ये क्या जगह हैं दोस्तों 9: 30 बजे आज के फनकार कार्यक्रम प्रसारित किया गया।
- सोमवार को मौसम का असर रहा, फिल्मे भी कुछ ऎसी ही चुनी गई और श्रोताओं ने भी बारिश के गीत सुनने के लिए संदेश भेजे जैसे-मौसम मौसम लवली मौसम (फिल्म-थोड़ी सी बेवफाई)मंगलवार की फिल्मे रही-मेरा साया, ताजमहल।
- हाँ, की है प्रेमी से तुमने थोड़ी सी बेवफाई माँ-बाप से झूठ भी बोली हो किसी की चोट पर ख़ुशी होती है यह राज भी तुम्ही खोली हो! हथेली रंग ली है सपने चुराएहै सहेली की आंसू से काजल भी सजाए हैं!
- गुलज़ार साहब का दर्द..........किसी से नहीं बाँटते....उनकी शायरी में बहता हुआ,नज़र आयेगा...उसी दर्द को एक खूबसूरत सी माला जरुर बना देते हैं.... जैसे.......हजार राहें,मुड के देखीं कहीं से कोई सदा न आई बड़ी वफा से निभाई तुमने हमारी थोड़ी सी बेवफाई
- ' सागर ', ' शराबी ', ' अगर तुम न होते ', ' नमक हलाल ', ' थोड़ी सी बेवफाई ', ' डॉन ', ' अमानुष ' और ' आराधना ' जैसी फिल्मों में उनके गीतों के कारण उन्हें सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के पुरस्कार मिले।
- इसके बाद वर्ष 1975 में फिल्म अमानुष के गाने. दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा..वर्ष 1978 में डॉन के गाने.खाइके पान बनारस वाला.वर्ष 1980 में हजार राहे जो मुड़ के देखी.फिल्म थोड़ी सी बेवफाई..वर्ष 1982 में फिल्म नमक हलाल के.पग घुंघरू बांध मीरा नाची थी.वर्ष 1983 में फिल्म अगर तुम न होते के.अगर तुम न होते.
- उदास गीतों में थोड़ी सी बेवफाई टायटल गीत का वह लाइन ‘ जो रात हमने बिताई मर के वो रात तुमने गुज़ारी होती या फिर आगे की पंक्तियों में ‘ उन्हें ये जि़द के हम पुकारें, हमें ये उम्मीद वो बुलाएं, है नाम होठों पे अब भी लेकिन आवाज़ में पड़ गई दरारें ' मुहब्ब्त के कशमकश को शानदार तरीके से व्यक्त करता है।