ढोला-मारू sentence in Hindi
pronunciation: [ dholaa-maaru ]
Examples
- राजस्थान की कथ्य परम्परा अथवा हस्तलिखित प्रतियों में ढोला-मारू की बात केरूपांतर, प्रेमकथा के मूल रूप को स्थित रखकर, अन्य कथाओं को जोड़कर वार्ता काविस्तार अवश्य करते हैं.
- संस्कार तथा ऋतु सम्बन्धी गीत प्रथम कोटी में आते हैं और आल्हा उदल, भरथरी, चंदैनी और ढोला-मारू आदि के गीत द्वितीय श्रेणी में रखे जा सकते हैं।
- २ ढोला-मारू का कथानक१ कथासार-इस प्रेम वार्ता का कथानक, सूत्र में इतना ही है कि पूंगल का राजाअपने देश में अकाल पड़ने के कारण मालवा प्रान्त में, परिवार सहित जाता है.
- इसलिए मैं नहीं मानता कि पति और पत्नी के बीच कभी प्रेम भी हो सकता है या मुमताज महल और शाहजहां के बीच भी कभी वैसा ही प्रेम रहा होगा, जैसा लैला-मजनूं, हीर-रांझा, सोहिनी-महिवाल, शीरी-फरहाद, ढोला-मारू के बीच रहा था।
- राधा-कृष्ण, शकुंतला-दुष्यंत, सावित्री-सत्यवान, रानी रूपमती-बाज बहादुर, सलीम-अनारकली, हीर-रांझा, लैला-मजनूं, सोहनी-महिवाल, ढोला-मारू की अमर प्रेम कहानियां समाज को सहज स्वीकार्य ही नहीं वरन इनका अनुगायन सतत जारी है एक सलीम और अनारकली को छोड़ कर.
- मध्यप्रदेश के एक राजा नल-दमयंती का पुत्र ढोला जिसे इतिहास में साल्ह्कुमार के नाम से भी जाना जाता है का विवाह राजस्थान के जांगलू राज्य के पूंगल नामक ठिकाने की राजकुमारी मारवणी से हुआ था | जो राजस्थान के साहित्य में ढोला-मारू के नाम से प्रख्यात प्रेमगाथाओं के नायक है | इसी ढोला के पुत्र लक्ष्मण का [...]
- इससे भी आगे कुछ तो है तब ही मरूस्थल में जीवन है शायद मूमल की प्रीत यहाँ ढोला-मारू के गीत यहाँ अलगोजा दूर तरंगों में बजता है चंग उमंगों में दिन में स्वर्णिम धोरे हिलते ले चन्द्र-किरण कण-कण खिलते हैं लोक-देवता-तेजा, गोगा, रामदेवरा इनके मेले लोगों के बहुरंगी रेले इनसे भी कुछ ऊर्जा लेते जीवन की नैया को खेते