ज्ञानेंद्रिय sentence in Hindi
pronunciation: [ jenyaanenedriy ]
"ज्ञानेंद्रिय" meaning in English "ज्ञानेंद्रिय" meaning in Hindi
Examples
- ज्ञानेंद्रिय शिक्षण के लिये कई शिक्षण यंत्र हैं जिनमें स्वयं भूल का नियंत्रण या, सुधार होता है और जो बच्चे को स्वयं शिक्षा देनेवाले हैं।
- -डॉ. डीपी अग्रवा ल मनुष्य के कान एक महत्वपूर्ण ज्ञानेंद्रिय हैं, जो मुख्यतः दो कार्य करते हैं: 1. सुनना या शब्द श्रवण 2.
- कहते हैं कि जिस व्यक्ति में यह छठी ज्ञानेंद्रिय होती है वह जान लेता है कि दूसरों के मन में क्या चल रहा है.
- यदि संसार में कोई भी जीव अपनी ज्ञानेंद्रिय का प्रयोग कर महाप्रभु को प्राप्त करना चाहता है, तो उसका सहज मार्ग आंतरिक शुद्धता तथा आत्ममंथन है।
- के लिए संभव निहितार्थ, और अपलोड कि आपके ज्ञानेंद्रिय जारी रखने के लिए अपने अनुभवों के प्रसंस्करण की अनुमति देता है आप का एक कम्प्यूटरीकृत संस्करण में अपनी चेतना की अवधारणा के बारे में सोच.
- मन आदि इंद्रियों से मतलब वहाँ उस सूक्ष्म शरीर से ही है, जिसमें पूर्वोक्त पाँच कर्मेंद्रिय, पाँच ज्ञानेंद्रिय, पाँच प्राण और मन एवं बुद्धि यही सत्रह पदार्थ पाए जाते हैं-वह शरीर इन्हीं सत्रहों से बना है।
- उसी तरह, पाँचों के सत्त्वगुणों को सम्मिलित करके भीतरी ज्ञानेंद्रिय या अंत: करण बनता है, जिसे कभी एक, कभी दो-मन और बुद्धि-और कभी चार-मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार-भी कहते हैं।
- सांख्य और वैशेषिक दर्शनों के आधार पर पृथ्वी का गुण गंध है और तद्विषयक ज्ञानेंद्रिय नासिका है, जल का गुण रस है और तद्विषयक ज्ञानेंद्रिय रसना या जिह्वा है, तेजस् या अग्नि का गुण रूप है और तद्विषयक ज्ञानेंद्रिय चक्षु है, वायु का गुण स्पर्श है और तद्वविषयक ज्ञानेंद्रिय त्वचा है तथा आकाश का गुण शब्द है, जिससे संबंध रखनेवाली ज्ञानेंद्रिय कर्ण हैं।
- सांख्य और वैशेषिक दर्शनों के आधार पर पृथ्वी का गुण गंध है और तद्विषयक ज्ञानेंद्रिय नासिका है, जल का गुण रस है और तद्विषयक ज्ञानेंद्रिय रसना या जिह्वा है, तेजस् या अग्नि का गुण रूप है और तद्विषयक ज्ञानेंद्रिय चक्षु है, वायु का गुण स्पर्श है और तद्वविषयक ज्ञानेंद्रिय त्वचा है तथा आकाश का गुण शब्द है, जिससे संबंध रखनेवाली ज्ञानेंद्रिय कर्ण हैं।
- सांख्य और वैशेषिक दर्शनों के आधार पर पृथ्वी का गुण गंध है और तद्विषयक ज्ञानेंद्रिय नासिका है, जल का गुण रस है और तद्विषयक ज्ञानेंद्रिय रसना या जिह्वा है, तेजस् या अग्नि का गुण रूप है और तद्विषयक ज्ञानेंद्रिय चक्षु है, वायु का गुण स्पर्श है और तद्वविषयक ज्ञानेंद्रिय त्वचा है तथा आकाश का गुण शब्द है, जिससे संबंध रखनेवाली ज्ञानेंद्रिय कर्ण हैं।