अवसर की समता sentence in Hindi
pronunciation: [ avesr ki semtaa ]
"अवसर की समता" meaning in English
Examples
- उसके विपरीत संविधान भारत के सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने का अधिकार प्रदान करता है।
- भारत को एक संपूर्ण, प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, सामाजिक, आर्थित और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता जैसे उसूलों को सही रूप से लागू करने में देश की सरकारें नाकामयाब रही हैं।
- परंतु जिले के एक ऐसे ही पिछड़े गांव खडीहा में पढ़े लिखे आगे बढ़े कुछ लोगों ने मिल जुलकर वंचित छात्रों को संसाधन उपलब्ध कराया और गांव में ऐसा माहौल बनाया कि संविधान में वर्णित अवसर की समता का भाव साकार होने लगा.
- सर्वोच्च न्यायलय एवं उच्च न्यायालयों में वकालत करने एवं न्यायाधीश बनने के अवसरों में भी तीन प्रतिशत अंग्रेजीदां आभिजात्य वर्ग का पूर्ण आरक्षण है, जो कि ‘ अवसर की समता ' दिलाने के संविधान की प्रस्तावना एवं संविधान के अनुच्छेद 16 के तहत ‘
- सवाल पैदा होता है कि आखिर आरक्षण का विरोध क्यों हो रहा है और क्या इसके पीछे उठते सवाल वाजिब हैं-(1) आरक्षण विरोधियों का मानना है कि आरक्षण ‘ अवसर की समता ' (अनुच्छेद-16 (1)) के संवैधानिक उपबन्धों का उल्लंघन है।
- हम ने तय किया था कि हम भारत को एक ऐसा संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी, पंथ निरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाएंगे जिस में सभी को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय प्राप्त होगा, जिस में विचार अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता होगी, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त होगी।
- धर्म की सामाजिक-राजनीतिक जीवन में दखलन्दाज़ी और साम्प्रदायिकता की राजनीति और संस्कृति ने अल्पसंख्यकों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाकर ” प्रतिष्ठा और अवसर की समता ” के जुमले को कितना भद्दा मज़ाक बना दिया है, यह तो राजिन्दर सच्चर आयोग की रिपोर्ट से भी साफ़ हो चुका है।
- (1.) संविधान की प्रस्तावना के अनुसार भारत को ‘ समाजवादी लोकतंत्रात्मक गणराज्य ' बनाना है और भारत के नागरिकों को ‘ न्याय ' और ‘ प्रतिष्ठा और अवसर की समता ' प्राप्त कराना है तथा ‘ व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करनेवाली बंधुता ' को बढ़ाना है।
- हम ने तय किया था कि हम भारत को एक ऐसा संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी, पंथ निरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाएंगे जिस में सभी को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय प्राप्त होगा, जिस में विचार अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता होगी, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त होगी।
- भारत के सविंधान की प्रस्तावना हम, भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभूत्व-संपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकातान्त्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को: सामजिक, आर्थिक और राजनतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्ववास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता [...]