अरबी-फ़ारसी लिपि sentence in Hindi
pronunciation: [ arebi-faresi lipi ]
Examples
- ध्यान रहे कि अरबी-फ़ारसी लिपि के अक्षर को हिंदी-उर्दू और फ़ारसी बोलने वाले “ज़” उच्चारित करते हैं जबकि अरबी बोलने वाले लोग “ध” और “ज़” कि मिली-जुली ध्वनि से उच्चारित करते हैं।
- यद्यपि दक्खिनी का साहित्य अरबी-फ़ारसी लिपि में लिखा गया है कि इसमें अरबी और फ़ारसी के शब्दों की संख्या बहुत है, फिर भी इसमें संस्कृत की शब्द-संख्या कम विस्तृत नहीं है।
- फ़-अरबी-फ़ारसी लिपि में फ की कमी प + ह = फ (پ + ھ = پھ) के द्वारा पूरी की जाती है, और फ़ के लिए फ़े (ف) का प्रयोग होता है।
- पश्तो भी उर्दू और सिन्धी कि तरह अरबी-फ़ारसी लिपि का प्रयोग करती है, लेकिन उसमें कुछ बदलाव लाए गए हैं ताकि 'ट' जैसी प्रचलित ध्वनियाँ (जो भारतीय उपमहाद्वीप में तो पाई जाती हैं लेकिन ईरान में नहीं) लिखी जा सकें।
- जिस विषैली मानसिकता के चलते उन्होंने बंगला भाषा के शुद्धीकरण का प्रयास १९५० के दशक में किया था, उसी दूषित मानसिकता के चलते पंजाबी की इबारत लिखने में,उल्टे हाथ से शुरु करने और उसका गुरुमुखी प्रभाव समाप्त कर उसे अरबी-फ़ारसी लिपि देने से साफ़ स्पष्ट हो जाता है कि ये किस मानसिकता से ग्रस्त तबका है.
- जिस विषैली मानसिकता के चलते उन्होंने बंगला भाषा के शुद्धीकरण का प्रयास १ ९ ५ ० के दशक में किया था, उसी दूषित मानसिकता के चलते पंजाबी की इबारत लिखने में, उल्टे हाथ से शुरु करने और उसका गुरुमुखी प्रभाव समाप्त कर उसे अरबी-फ़ारसी लिपि देने से साफ़ स्पष्ट हो जाता है कि ये किस मानसिकता से ग्रस्त तबका है.
- ] का छोटा स्वर “ अ ” शब्द के कहीं बीच और अंत में मिट जाता है, और अरबी-फ़ारसी लिपि में तीन छोटे स्वर “ अ / इ / उ ” ज़ाहिर नहीं हैं, सो संतुलन करने को कभी कभी छोटे स्वर को लंबे स्वर से लिखना [अ → आ / इ → ई / उ → ऊ] ज़रूरी है.