अप्रस्तुत विधान sentence in Hindi
pronunciation: [ apersetut vidhaan ]
"अप्रस्तुत विधान" meaning in English
Examples
- इन्हीं सब वैशिष्टों के कारण श्रीहर्ष को विलक्षण प्रतिभाशाली, शास्त्रमर्मज्ञ, अप्रस्तुत विधान में परम समर्थ और अलंकरण काव्यरचना में अतिनिपुण महाकवि कहा गया है।
- एक जगह वे बिंब का अर्थ लेते हैं साधारण चित्रात्मक वर्णन, जो अभिधामूलक है तो दूसरी जगह वे बिंब का प्रयोग अप्रस्तुत विधान के रूप में करते हैं।
- उनकेअनुसार सूर का समय और समाज प्रत्यक्ष वर्णन के रूप में उनके काव्य में प्रस्तुत नहीं है लेकिन अप्रस्तुत विधान के रूप में उन्होंने इस कमी को पूरा किया है.
- कबीर का अप्रस्तुत विधान: वे भले ही कूट छंद क्यों न हों-बराबर सामान्य जीवन-क्रम से घुले हुए मिलते हैं, जिससे श्रोता-पाठक के भाव-बोध में कहीं कुछ अड़चन न हो।
- इसके पहले श्री सुमित्रानंदन पंत का ' पल्लव ' बड़ी धूमधाम से निकल चुका था, जिसमें रहस्यभावना तो कहीं कहीं पर अप्रस्तुत विधान, चित्रमयी भाषा और लाक्षणिक वैचित्रय आदि विशेषताएँ अत्यंत प्रचुर परिमाण में दिखाई पड़ी थीं।
- आज दादू के इस अप्रस्तुत विधान का अनुशीलन साहित्य और संस्कृति के सन्दर्भ में इसलिए भी आवश्यक हो जाता है कि आज की राजनैतिक परिवेश भी सामंती जीवन की भाँति शोषक और शोषित का परिदृश्य प्रस्तुत कर रहा है।
- लेकिन इसका यह अर्थ कतई नहीं कि बाबा की रचनाओं में कोई परंपरित रूप या छंद और अप्रस्तुत विधान का ही पिष्टपेषण हुआ है, या कि उस स्तर पर नई सीखने की चीज उसमें है ही नहीं.
- घोर व्यक्तिवाद, क्षण में अनुभूत अनुभूतियों की बिंबात्मक अभिव्यक्ति से जहाँ नवीनता की सृष्टि अधिक हुई हैं-विशेषकर नूतन अप्रस्तुत विधान के क्षेत्र में, वहीं भाषा की अव्यवस्थता, अभिव्यक्ति की अस्पष्टता, धूमिल संकेतात्मकता, भावदारिद्र्य, छंदद्रोह और बौद्धिक आग्रह इस काव्य के दोष हैं।
- कलात्मक अलंकरणवाली काव्यशैली के अनुसरी इस काव्य में शब्द और अर्थ उभयमूलक अंलकारों का चमत्कार, वर्ण और शब्द का आधृत चित्रकाव्यता, अप्रस्तुत विधान का कल्पनापरक ललित संयोजन आदि उत्कृष्ट रूप में शिल्पित हैं, राजनीति और व्यवहारनीति के उपदेश, प्रभावपूर्ण संवाद, आदि से इस काव्य का निर्माणशिल्प अत्यंत सज्जित है।
- कलात्मक अलंकरणवाली काव्यशैली के अनुसरी इस काव्य में शब्द और अर्थ उभयमूलक अंलकारों का चमत्कार, वर्ण और शब्द का आधृत चित्रकाव्यता, अप्रस्तुत विधान का कल्पनापरक ललित संयोजन आदि उत्कृष्ट रूप में शिल्पित हैं, राजनीति और व्यवहारनीति के उपदेश, प्रभावपूर्ण संवाद, आदि से इस काव्य का निर्माणशिल्प अत्यंत सज्जित है।