अनीतिपूर्ण sentence in Hindi
pronunciation: [ anitipuren ]
"अनीतिपूर्ण" meaning in English "अनीतिपूर्ण" meaning in Hindi
Examples
- लेकिन यदि आप धर्म को ही कसौटी पर कसें तो कितने ही लोग मिलेंगे जो आज भी धर्मपरायण होने के कारण अनीतिपूर्ण काम करने से बचे रहते हैं.
- लेकिन यदि आप धर्म को ही कसौटी पर कसें तो कितने ही लोग मिलेंगे जो आज भी धर्मपरायण होने के कारण अनीतिपूर्ण काम करने से बचे रहते हैं.
- अब पूछे कोई इस अनीतिपूर्ण बयान देने वाले नेता से कि औरत को चाहे कपड़ों में गठरी की तरह लपेट दो, रहेगी तो वह औरत ही. बलात्कारी को मादा शरीर चाहिए।
- ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले ने हर स्तर पर कंधे से कंधा मिलाकर काम किया और कुरीतियों, अंध श्रद्धा और पारम्पारिक अनीतिपूर्ण रूढ़ियों को ध्वस्त कर गरीबों-शोषितों के हक में खड़े हुए।
- चोर, लुटेरे, अग्नि, जल, शत्रु भय उत्पन्न कर रहे हों या स्त्री, पुत्र, बाँधव, राजा आदि अनीतिपूर्ण तरीकों से उसे देश या राज्य से बाहर कर दिए हों, सारा धन राज्यादि हड़प लिए हो।
- वैसे यदि आप देखें तो शिक्षक को यह स्वतंत्रता है कि वह कठोर प्रश्नपत्र बनाकर छात्रों की खाट खड़ी कर दे, इसमें कुछ अनीतिपूर्ण नहीं है, लेकिन उस दिन शाह सर ने जो कुछ कहा था उसे शब्दों में बाँध पाने में आज स्वयं को असमर्थ पाता हूँ.
- सारे प्राणी मरने से डरते है, सब मृत्यु से भयभीत है उन्हें अपने समान समझो अतः न उन्हें कष्ट दो और न उनके प्राण लो-भगवान बुद्ध पारसी धर्म जो दुष्ट मनुष्य पशुओं, भेड़ो अन्य चौपायों की अनीतिपूर्ण हत्या करता है, उसके अंगोपांग तोड़कर छिन्न-भिन्न किये जाएँगे-जैन्द अवेस्ता सिक्ख धर्म 1।
- मैं इस प्रकृति के रहस्य को समझ चुका हूँ, मुझमे अहंकार आ गया है, गर्मी आ गयी है, क्रोध भी आता है, परन्तु मैं चाहता हूँ यह अहंकार सबमे आ जाये, गर्मी सबमे आ जाये की हम बुराई को अपनी गर्मी से जला दें, हम सभी को क्रोध आ जाये, क्रोध में हीं सही हम दूसरों को अनीतिपूर्ण कार्य करने से रोकें ।
- सत्ताधीश कंस के विरुद्ध कृष्ण का संघर्षरत रहना और उनके द्वारा कंस वध, शिशुपाल वध, क्या यह संदेश नहीं देते कि आततायी, अन्यायी से युद्ध करना ही चाहिए, भले ही वह हमारा अपना क्यों न हो? दुष्टता और छल-कपट के प्रतीक दुर्योधन व शकुनि ने भी जब पांडवों के साथ अनीतिपूर्ण बर्ताव किया तो कृष्ण ने अर्जुन को अन्याय के विरुद्ध अस्त्र उठाने का आव्हान किया।
- युद्ध के अठारवें दिन रणक्षेत्र में मरणासन्न पड़ा हुआ दुर्योधन कृष्ण को इस पूरे युद्ध में, उनके द्वारा किए गए सारे छल गिनवाता है-“ हे कंस के दास के उत्तराधिकारी! इस तरह अनीतिपूर्ण ढंग से मुझे मार गिराने में क्या तुम्हें किंचितमात्र भी शर्म नहीं आई? तुम्हें क्या ज़रा भी श्म नहीं कि तुमने उन सारे राजाओं को छलपूर्वक मरवा डाला जो युद्ध में नीतिपूर्वक व बड़ी वीरता से लड़ रहे थे.