अँधेरे में तीर sentence in Hindi
pronunciation: [ anedher men tir ]
"अँधेरे में तीर" meaning in English
Examples
- नतीजा, मनमोहन सिंह सरकार महंगाई पर काबू करने के नाम पर अँधेरे में तीर चला रही है या फिर मार्च तक मुद्रास्फीति (महंगाई नहीं) की दर गिरने के दावे कर रही है.
- तों फिर क्या फ़ायदा? जब हम को आप दिखाई नहीं देगें, आप के बारे में पुरा ज्ञान कैसे होगा? फिर तों वही अनुमान के सहारे अँधेरे में तीर मारते रह जायेगें. आप ऐसे है.
- डॉ. जमाल आप यु ही अँधेरे में तीर ना चलावो, आप अँधेरे ही अँधेरे में हाथ पांव चला रहे हे, आप को में स्पस्ट कर दू की सुरेश जी सर के ब्लॉग पर में ऐसी कमेन्ट नहीं कर सकता...
- अच्छा, “ मैं जाता हूँ, विदा! ” कहकर सेबेस्टिन चलने लगा, किन्तु जब मेरिया अन्दर चली गयी, तब वह रूककर उसकी ओर देखकर बोला, ‘‘ मेरिया, तुम्हारे पास इतना धन कैसे? यह तो अँधेरे में तीर लग गया है।
- यह सिल्सिला दूसरी और तीसरी ग़ज़ल में भी बदस्तूर बरक़रार रहता है … “ वो जाम बर्फ़ से लबरेज़ है मगर उससे लिपट-लिपट के मुसलसल पिघल रही है हवा ” क्या अंदाज़े-सुख़न है! … और “ ख़ूब काम आती है आपकी हुनरमंदी आपका अँधेरे में तीर ख़ूब चलता है ” …
- जब बी डी ओ प्रसान्त लायक की धलुम्गड़ से अपहरण हुआ था, तो उस समय नक्सालियों की मांग पर पुलिस ने जो लोगों को छोड़ा था और यह कहा था की “ अनजाने में बेकसूर लोग पकडे गए थे ” इससे तो यही मालूम पड़ता है की पुलिस हमेशा अँधेरे में तीर चलती है।
- लेकिन यह बात शायद कम ही लोगो को पता होगी कि अभिव्यक्ति की सवतंत्रता के सार्थक मायने वहां है, जहां अभिव्यंजना करने वाला व्यक्ति स्वतंत्र हो! अपने अधिकारों को न सिर्फ जानता हो बल्कि उनके खुलकर इस्तेमाल की भी बिना द्वेष-भाव उसे पूरी आजादी हो! गुलाम व्यक्ति से स्वतंत्र अभिव्यक्ति की कल्पना करना तो अँधेरे में तीर छोड़ने जैसा है!
- जैसा की आप कह रहे है कि बिना कारण जाने अँधेरे में तीर चलाने की कोई तुक नहीं बनती अपनी जगह सही है किन्तु इस लेख के विषय में मैं यहाँ बस यही कहना चाहूँगा कि उक्त घटना कही भी अँधेरे में तीर कि भाति नहीं नहीं क्योकि आज के परिवेश में जो मैंने पढ़े लिखे वर्ग के लोगो के बीच देखा वही सीधे सीधे इस लेख के द्वारा व्यक्त कर दिया.
- जैसा की आप कह रहे है कि बिना कारण जाने अँधेरे में तीर चलाने की कोई तुक नहीं बनती अपनी जगह सही है किन्तु इस लेख के विषय में मैं यहाँ बस यही कहना चाहूँगा कि उक्त घटना कही भी अँधेरे में तीर कि भाति नहीं नहीं क्योकि आज के परिवेश में जो मैंने पढ़े लिखे वर्ग के लोगो के बीच देखा वही सीधे सीधे इस लेख के द्वारा व्यक्त कर दिया.
- प्रश्नों की झड़ी लगा देता है और वो भी उल्टे-सीधे प्रश्न पूछ मानसिक वेदना को और बड़ा देता है सब जानते है कुछ होना नही है सिर्फ ओपचारिकता मात्र है आजतक चैन सुपुर्दगी के समचार पड़ने को नही मिलते, ऐसे समाचारों के लिए आखें तरसती रहती है I रपट के बाद हमेशा की तरह रटा-रटाया बयान, अज्ञात अपराधी पर प्रकरण दर्ज कर जाँच जारी है अँधेरे में तीर चलाने जेसा लगता है.