हिन्दू धर्म ग्रन्थ sentence in Hindi
pronunciation: [ hinedu dherm garenth ]
Examples
- जैसा की मैंने कल के अपने लेख में लिखा था हिन्दू धर्म ग्रन्थ में लिखे हर श्लोक के चार प्रकार के अर्थ (शब्दार्थ, भावार्थ, व्यंगार्थ और गूढार्थ) निकाले जा सकते है.
- जैसा की मैंने कल के अपने लेख में लिखा था हिन्दू धर्म ग्रन्थ में लिखे हर श्लोक के चार प्रकार के अर्थ (शब्दार्थ, भावार्थ, व्यंगार्थ और गुडार्थ) निकले जा सकते है.
- “हालाँकि हिन्दू धर्म ग्रन्थ अपने मानने वालों को मांसाहार की अनुमति देते हैं, फिर भी बहुत से हिन्दुओं ने शाकाहारी व्यवस्था अपना ली, क्यूंकि वे जैन जैसे धर्मों से प्रभावित हो गए थे.”
- इस पवित्र त्यौहार के सन्दर्भ में यूं तो कई कथाएं इतिहासों और पुराणों में वर्णित है, परन्तु हिन्दू धर्म ग्रन्थ विष्णु पुराण में वर्णित प्रहलाद और होलिका की कथा सबसे ज्यादा मान्य और प्रचलित है.
- जैसा की मैंने कल के अपने लेख में लिखा था हिन्दू धर्म ग्रन्थ में लिखे हर श्लोक के चार प्रकार के अर्थ (शब्दार्थ, भावार्थ, व्यंगार्थ और गूढार्थ) निकाले जा सकते है.
- मैं आप सबको इधर बैठ कर चैलेन्ज करता हूँ कि हिन्दू शब्द, हिन्दू धर्म ग्रन्थ की किसी भी पुस्तक में नहीं है फिर चाहे वह वेद हों, पुराण हों, उपनिषद हों, रामायण हो, महाभारत हो या फिर लेटेस्ट तुलसीदास कृत रामचरित मानस ही क्यूँ न हो.
- मुस्लिम युवक ने-जलाये हिन्दू धर्म ग्रन्थ:-एक मुस्लिम युवक ने अपनी सभ्यता का परिचय देते हुए, (की जो हम खाते हैं वो ही हम सोचते हैं, दुसरे समुदाय के प्रति।) कुछ धार्मिक प्रतिलिपियाँ उसने लाजपत नगर, साहिबाबाद, गाज़ियाबाद में जलाते हुए अपने समाज का नाम
- ' मांसाहारी प्रचारक:-हिन्दू मत अन्य धर्मों से प्रभावित “ हालाँकि हिन्दू धर्म ग्रन्थ अपने मानने वालों को मांसाहार की अनुमति देते हैं, फिर भी बहुत से हिन्दुओं ने शाकाहारी व्यवस्था अपना ली, क्यूंकि वे जैन जैसे धर्मों से प्रभावित हो गए थे.
- मुस्लिम युवक ने-जलाये हिन्दू धर्म ग्रन्थ:-एक मुस्लिम युवक ने अपनी सभ्यता का परिचय देते हुए, (की जो हम खाते हैं वो ही हम सोचते हैं, दुसरे समुदाय के प्रति।) कुछ धार्मिक प्रतिलिपियाँ उसने लाजपत नगर, साहिबाबाद, गाज़ियाबाद में जलाते हुए अपने समाज का नाम...
- यूं तो इस महापर्व के पीछे सभी धर्मों की अलग-अलग मान्यताएं हैं, परन्तु हिन्दू धर्म ग्रन्थ में वर्णित कथाओं के अनुसार दीपावली का यह पावन त्यौहार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के 14 वर्ष के बाद बनवास के बाद अपने राज्य में वापस लौटने की स्मृति में मनाया जाता है.