सतरंगिनी sentence in Hindi
pronunciation: [ setrengaini ]
Examples
- मान लीजिए, ‘ सतरंगिनी ' मेरी पहली रचना है जो आपके हाथों में आती है, तो आपको यह कल्पना तो करनी ही होगी कि वह जीवन की किस स्थिति, किन मनःस्थिति में है जो ऐसी कविताएँ लिख रहा है।
- हरिवंश राय बच्चन के संपूर्ण साहित्य की सूची कविता संग्रहतेरा हार (1932) मधुशाला (1935) मधुबाला (1936) मधुकलश (1937) निशा निमंत्रण (1938) एकांत संगीत (1939) आकुल अंतर (1943) सतरंगिनी (1945) हलाहल (1946) बंगाल का काव्य (1946) खादी के फूल (1948) सूत की माला (1948)
- “ सतरंगिनी ” पर लिखी गयी शुरू की समालोचनाओं में कतिपय पत्रों में, जहां तक मुझे स्मरण है, इस बात पर मेरी हंसी उडाई गयी थी की, मैंने मयूरी के नाचने की बात लिखी है जबकि प्राकृतिक सत्य इसके विपरीत है यानी मयूरी नाचती ही नहीं!
- आज से माँ की दूसरी पुस्तक ' सतरंगिनी ' की रचनाएं इस ब्लॉग पर अपने पाठकों के लिये उपलब्ध करा रही हूँ! इन रचनाओं का कथ्य, इनकी अभिव्यक्ति और इनका कलेवर आपको पहले की रचनाओं से भिन्न मिलेगा और आशा करती हूँ ये रचनाएं भी आपको अवश्य पसंद आयेंगी!
- “ सतरंगिनी ” में नर-नारी के आदर्श जोड़े के रूप में मैंने मयूर और मयूरी को ही प्रतीक माना है-मयूरी के नाचने अथवा न नाचने को जिन्होंने महत्त्व दिया है उससे मेरी शिकायत यहीं है कि, उनहोंने हाथी को नहीं देखा, सिर्फ उसकी पूँछ टटोली है!
- इस मनुष्य का अगला विकास प्रणयकाव्य (सतरंगिनी, मिलनयामिनी, प्रणय पत्रिका) में नीड़ का फिर-फिर निर्माण करने तथा अँधेरी रात के अस्तित्व को स्वीकार करते हुए भी अँधेरे के सामने आत्मसमर्पण किए बिना दीवा जलाकर अंधकार पर प्रकाश की जीत को सुनिश्चित करने वाले धीर नायक के रूप में सामने आता है।
- आप ‘ सतरंगिनी ' पढ़ने के पूर्व ‘ मधुशाला ', मधुबाला ', ‘ मधु कलश ' और ‘ निशा निमन्त्रण ', ‘ एकान्त संगीत ', ‘ आकुल अन्तर ' पढ़ लें ; यदि आप अधिक सचेत पाठक हों तो मैं कहूँगा कि आप मेरी ‘ प्रारम्भिक रचनाएँ ' और ‘ खैयाम की मधुशाला ' भी पढ़ लें।
- निशा-निमंत्रण ', ‘ प्रणय पत्रिका ', ‘ मधुकलश ', ‘ एकांत संगीत ', ‘ सतरंगिनी ', ‘ मिलन यामिनी ', ” बुद्ध और नाचघर ', ‘ त्रिभंगिमा ', ‘ आरती और अंगारे ', ‘ जाल समेटा ', ‘ आकुल अंतर ' तथा ‘ सूत की माला ' नामक संग्रहों में आपकी रचनाएँ संकलित हैं।
- तेरा हार (1932) मधुशाला (1935) मधुबाला (1936) मधुकलश (1937) निशा निमंत्रण (1938) एकांत संगीत (1939) आकुल अंतर (1943) सतरंगिनी (1945) हलाहल (1946) बंगाल का काव्य (1946) खादी के फूल (1948) सूत की माला (1948) मिलन यामिनी (1950) प्रणय पत्रिका (1955) धार के इधर उधर (1957) आरती और अंगारे (1958) बुद्ध और नाचघर (1958) त्रिभंगिमा (1961) चार खेमे चौंसठ खूंटे (1962) दो चट्टानें (1965) बहुत दिन बीते (1967)
- हरिवंशराय बच्चन जो कि हिन्दी के विख्यात कवि थे, कौन अरे वो ही अपने एक्टर अमिताभ बच्चन जी के बाबूजी | उन्होनें बहुत सी कविताएं और रचनायें लिखीं जिनमें से मुख्य हैं मधुशाला, निशा निमंत्रण, सतरंगिनी, खादी के फूल, दो चट्टानें, आरती और अंगारे, मधुबाला, मधुकलश, प्रणय पत्रिका आदि | उन्होने हिन्दी कविता के इतिहास […]