लाला श्रीनिवासदास sentence in Hindi
pronunciation: [ laalaa sherinivaasedaas ]
Examples
- सरशार के उर्दू उपन्यासों से लेकर लाला श्रीनिवासदास के परीक्षागुरु जैसे हिंदी के प्रथम उपन्यास को उन्होंने सामंती मूल्यों को प्रतिष्ठित करने वाला उपन्यास कहा है क्योंकि उनके उपन्यासों की अंतर्वस्तु मध्यवर्ग के महाकाव्य के रूप में नहीं दिखाई पड़ती है।
- हम हिन् दी समय डॉट कॉम पर लाला श्रीनिवासदास लिखित ‘ परीक्षागुरु ' भी शीघ्र ही प्रस् तुत करेंगे, जिसका उल् लेख आचार्य रामचन् द्र शुक् ल ने अपने महत् वपूर्ण ग्रंथ ‘ हिन् दी साहित् य का इतिहास ' में किया है।
- उपाधयाय पं. बदरीनारायण चौधारी, पं. प्रतापनारायण मिश्र, बाबू तोताराम, ठाकुर जगमोहन सिंह, लाला श्रीनिवासदास, पं. बालकृष्ण भट्ट, पं. केशवराम भट्ट, पं. अंबिकादत्त व्यास, पं. राधाचरण गोस्वामी इत्यादि कई प्रौढ़ और प्रतिभाशाली लेखकों ने हिन्दी साहित्य के इस नूतन विकास में योग दिया था।
- यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि हिन्दी के इतिहासकारों के अग्रणी आचार्य रामचन्द्र शुक्ल तक ने इसकी उपेक्षा करके पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी की ‘भाग्यवती‘ (प्रकाशन-वर्ष सन् 1877) लाला श्रीनिवासदास की ‘परीक्षा गुरु‘ (प्रकाशन-वर्ष सन् 1882) नामक पुस्तकों को अपने ‘हिंदी साहित्य की इतिहास‘ नामक ग्रन्थ में क्रमशः ‘हिन्दी का पहला सामाजिक उपन्यास' और ‘अंग्रेजी ढंग का पहला हिन्दी उपन्यास‘
- यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि हिन्दी के इतिहासकारों के अग्रणी आचार्य रामचन्द्र शुक्ल तक ने इसकी उपेक्षा करके पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी की ‘भाग्यवती ‘ (प्रकाशन-वर्ष सन् 1877) लाला श्रीनिवासदास की ‘परीक्षा गुरु ‘ (प्रकाशन-वर्ष सन् 1882) नामक पुस्तकों को अपने ‘हिंदी साहित्य की इतिहास‘ नामक ग्रन्थ में क्रमशः ‘हिन्दी का पहला सामाजिक उपन्यास' और ‘अंग्रेजी ढंग का पहला हिन्दी उपन्यास‘
- जहॉं डॉ नगेन् द्र और डॉ निर्मला जैन सरीखे विद्वानों ने लाला श्रीनिवासदास के ‘ परीक्षागुरु ' को हिन् दी का पहला मौलिक उपन् यास माना है, वहीं डॉ गोपाल राय व डॉ पुष् पपाल सिंह आदि ने पं गौरीदत् त रचित ‘ देवरानी जेठानी की कहानी ' को हिन् दी का पहला उपन् यास होने का गौरव प्रदान किया है।
- भारतेन्दु अपना ‘ अंधेर नगरी ' प्रहसन इसी थियेटर के लिए एक ही रात में लिखा था, (2) प्रयाग में ‘ आर्य नाट्यसभा ' स्थापित हुई जिसमें लाला श्रीनिवासदास का ‘ रंगधीर प्रेममोहिनी ' प्रथम बार अभिनीत हुआ था, (3) कानपुर में भारतेन्दु के सहयोगी पं. प्रतापनारायण मिश्र ने हिन्दी रंगमंच का नेतृत्व किया और भारतेन्दु के ‘ वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति ', ‘ सत्य हरिश्चन्द्र ', ‘ भारत-दुर्दशा ', ‘ अंधेर नगरी ' आदि नाटकों का अभिनय कराया।