महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय sentence in Hindi
pronunciation: [ mhaatemaa gaaanedhi anetreraasetriy hinedi vishevvideyaaley ]
Examples
- जहाँ ' सुनो कहानी ' का विमोचन महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति विभूति नारायण राय ने किया, वहीं काव्यनाद का विमोचन वरिष्ठ कवि और ललित कला अकादमी के अध्यक्ष अशोक बाजपेयी ने किया।
- महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलपति विभूति नारायण राय के बयान को आपत्तिजनक मानते हुए वे लिखते हैं कि यह इक्कीसवीं सदी है और हमें अपने मर्दवादी अहंकार को छोड़ना चाहिए कि हम अपनी महिलाओं का अपमान सहन नहीं करेंगे.
- इस पुस्तक का विमोचन 12 दिसम्बर 2009 को महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति विभूति नारायण राय ने किया और कहा कि प्रेमचंद ने भगत सिंह से सम्बंधित बहुत सी जानकारियों को कम पृष्ठों में समेटकर बहुत नेक काम किया है।
- इस पुस्तक का विमोचन 12 दिसम्बर 2009 को महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति विभूति नारायण राय ने किया और कहा कि प्रेमचंद ने भगत सिंह से सम्बंधित बहुत सी जानकारियों को कम पृष्ठों में समेटकर बहुत नेक काम किया है।
- इस पुस्तक का विमोचन 12 दिसम्बर 2009 को महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति विभूति नारायण राय ने किया और कहा कि प्रेमचंद ने भगत सिंह से सम्बंधित बहुत सी जानकारियों को कम पृष्ठों में समेटकर बहुत नेक काम किया है।
- हिन्दी साहित्यकारों का सबसे बड़ा महाकुंभ चर्चित कथाकार और महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलपति विभूति नारायण राय ने ' हिन्दी समय' नाम से वर्धा में आयोजित किया जिसमें तीन सौ से अधिक रचनाकारों ने शिरकत की और साहित्य, कला, संस्कृति, रंगमंच, सिनेमा, मीडिया समेत कई अनुशासनों पर बृहद चर्चा हुई।
- महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के ब्लॉग हिन्दी-विश्व पर २ ६ फ़रवरी को राजकिशोर की तीन कविताएँ आई हैं-निगाह, नाता और करनी! कथ्य, भाषा और प्रस्तुति तीनों स्तरों पर यह तीनों ही बेहद घटिया, अधकचरी, सड़क छाप और बाजारू स्तर की कविताएँ हैं! राजकिशोर के लेख भी बिखराव से भरे रहे हैं...
- आज महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के हिन्दी-विश्व ब्लॉग ‘ हिन्दी-विश्व ' पर ‘ तथाकथित विचारक ' राजकिशोर का एक लेख आया है... क्या पवित्र है क्या अपवित्र.... राजकिशोर लिखते हैं.... अगर सार्वजनिक संस्थाएं मैली हो चुकी हैं या वहां पुण्य के बदले पाप होता है, तो सिर्फ इससे इन संस्थाओं की मूल पवित्रता कैसे नष्ट हो सकती है?
- प्रेमचंद की कहानियों के एल्बम ' सुनो कहानी ' पर टिप्पणी करते हुए महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति और प्रसिद्ध कथाकार विभूति नारायण राय ने कहा कि हमारे समय में यथार्थ कितनी तेजी से बदल रहा है यह देखना हो तो आज से पहले जब कहा जाता था कि ' मसि-कागद छुयो नहीं॰ ' को अब ऐसे कहा जा सकता है कि यदि आपने माउस-कीबोर्ड नहीं छुआ तो आज के समय के साथ कदमताल नहीं कर सकते।
- महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के ब्लॉग हिन्दी विश्व पर राजकिशोर के ३१ डिसेंबर के 'एक सार्थक दिन' शीर्षक के एक पोस्ट से ऐसा लगता है कि प्रीति सागर की छीनाल सस्कृति के तहत दलाली का ठेका राजकिशोर ने ही ले लिया है!बहुत ही स्तरहीन, घटिया और बाजारू स्तर की पोस्ट की भाषा देखिए...“पुरुष और स्त्रियाँ खूब सज-धज कर आए थे-मानो यहां स्वयंवर प्रतियोगिता होने वाली...”यह किसी अंतरराष्ट्रीय स्तर के विश्वविद्यालय के औपचारिक कार्यक्रम की रिपोर्टिंग ना होकर किसी छीनाल संस्कृति के तहत चलाए जाने वाले कोठे की भाषा लगती है!