भक्तिवाद sentence in Hindi
pronunciation: [ bhektivaad ]
"भक्तिवाद" meaning in English
Examples
- वैदिक भक्तिवाद मे अध्यात्मवाद एवं भौतिकवाद, प्रत्यक्ष और परोक्ष, लोक और परलोक, श्रद्धा तत्व एवं तर्क तत्व, भाग्यवाद एवं पुरुषार्थ तथा त्याग और भोगवाद का समुचित साम्ञ्जस्य है।
- लेकिन इसके साथ ही एक ओर जहां ब्राह्मण भक्तिवाद लोगों को एकजुट कर ताकत दे रहा था, वहीं सूफीवाद भी लोगों में प्रेम और अपनत्व का भाव पैदा करने का अभियान छेड़ हुए था।
- 13. अनुवाद कार्य: इन सबके अतिरिक्त अंग्रेजी और बंगला से अनुवाद करने की प्रवृत्ति, भक्तिवाद की ओर झुकाव आदि अन्य नाना गौण प्रवृत्तियां भी इसी काल में देखी जाने लगी थी।
- लेकिन इसके साथ ही एक ओर जहां ब्राह्मण भक्तिवाद लोगों को एकजुट कर ताकत दे रहा था, वहीं सूफीवाद भी लोगों में प्रेम और अपनत् व का भाव पैदा करने का अभियान छेड़ हुए था।
- औपनिवेशिक काल में इसी भक्तिवाद का पुनर्गठन किया जाता है और यह इंतज़ाम किया जाता है कि हमारी यह देशज आधुनिकता की चेतना और गहरा कर, अंग्रेजी की लायी औपनिवेशिक दासता को गहराने वाली आधुनिकता का विकल्प न बन जाये.
- तसव्वुफ़ (भक्तिवाद) और इश्क़िया शायरी (प्रेम-काव्य) के उन्मूलन तो अभी नहीं हुआ था, लेकिन वह पहले जैसा धूम-धड़क्का भी न रहा था जिसने विद्रोह से पहले के लगभग समस्त उर्दू शायरों को अपने बाहुपाश में जकड़ रखा था।
- भक्तिवाद का पूरा ढ़ाँचा तब तक स्त्री के प्रति मध्ययुगीन व्यवहार को अनुमन्य नही बना सकता जब तक कि राधा जैसी संरचना का विकास न कर डाले और मध्ययुगीन संस्कृति से संघर्ष की इच्छा और शक्ति दोनों का अभाव तो उसमें पहले से हैं ही ।
- ' धन साधन है साध्य नहीं ' तथा संसार के ऐश्वर्यों के ढक्कन के पीछे सत्य छिपा है, इस तथ्य को एक क्षण के लिए भी भूलने का अर्थ है वैदिक भक्तिवाद के स्वरूप को भूल कर आध्यात्मिक मृत्यु को प्राप्त हो जाना, जिस स्थिति मे आज हम हैं।
- औपनिवेशिक काल में इसी भक्तिवाद का पुनर्गठन किया जाता है और यह इंतज़ाम किया जाता है कि हमारी यह देशज आधुनिकता की चेतना और गहरा कर, अंग्रेजी की लायी औपनिवेशिक दासता को गहराने वाली आधुनिकता का विकल्प न बन जाये. इसके लिये इन संतों को ‘ ब्राह्मणवाद ' व ‘ सांस्कृतिक अस्थितरतावाद ' के नये गढ़े या रचे गये अंतर्विरोधों के ….
- मंदिरों में मिथुन मूर्तियों के बारे में अपना अंदाजा ये था कि लगातार युद्धरत रहने से, दुर्भिक्ष आदि से जनसंख्या कम होती जा रही होगी और \ या भक्तिवाद की अति के चलते आमजन इस पुरुषार्थ विशेष से विमुख हो रहे होंगे | इस के चलते मंदिरों जैसे सामाजिक स्थानों पर ऐसी मूर्तियां निर्मित हुई होंगी | अभी हाल ही में गिरिजेश जी के कोणार्क सीरीज और इस पोस्ट के मद्देनजर यह दृष्टिकोण अलग ही लगता है |