बिल्लेसुर बकरिहा sentence in Hindi
pronunciation: [ bilelesur bekrihaa ]
Examples
- उनके व्यंग्य की बानगी देखने के लिए उनकी दो गद्य की रचनाओं ' कुल्लीभाँट ' और ' बिल्लेसुर बकरिहा ' को भुलाया नहीं जा सकता।
- ‘ अप्सरा ', ‘ अल्का ', ‘ प्रभावती ', ‘ निरुपमा ', ‘ कुल्ली भाट ' और ‘ बिल्लेसुर बकरिहा ' आपके उपन्यास हैं।
- नगेंद्र द्वारा संपादित हिंदी साहित्य का इतिहास देखें तो छह-सात सौ पृष्ठों की उस किताब (भुसकोल विद्यार्थी का बस्ता मोटा?) में आपको बिल्लेसुर बकरिहा जैसी अद्भुत कृति का कहीं नाम नहीं मिलेगा.
- ' निराला के यथार्थवादी उपन्यासों के बारे में वे लिखते हैं ' कुल्लीभाट और बिल्लेसुर बकरिहा हिंदी में बेजोड़ हैं ही, भारत की किसी भी भाषा में इनका मुकाबला करनेवाले पात्र दुर्लभ ही होंगे ।
- निराला के प्रसंग में इस बात को नागार्जुन कुछ इस तरह व्यक्त करते हैं-' मँहगू, चतुरी चमार, बिल्लेसुर बकरिहा, कुल्ली भाट के पीछे पीछे निराला छाया की भाँति चलते थे ।
- वह मानते हैं कि श्रम विभाजन पर आधारित सामाजिक व्यवस्था का कोई रूढ़िगत अर्थ नहीं होना चाहिए इसलिए उनका ' बिल्लेसुर बकरिहा ' का ब्राह्मण कलकत्ता जाकर छोटे-छोटे कार्य करता है और फिर गांव वापस आकर वणिककर्म करके अच्छा गृहस्थ बन जाता है ।
- यहाँ ये कहानी इस श्रेणी की अन्य कहानियों जैसे निराला की “ बिल्लेसुर बकरिहा ” और “ कुल्लीभाट ” या फिर केदारनाथ अग्रवाल की “ पतिया ” जैसे उपन्यासों से अलग इस मामले में भी है कि ये व्यक्ति केंद्रित न होकर समूह केंद्रित अधिक है.
- इसके बाद तो मित्र के प्रति, सरोज-स्मृति, प्रेयसी, राम की शक्ति-पूजा, सम्राट अष्टम एडवर्ड के प्रति, भिखारी, गुलाब, लिली, सखी की कहानियाँ, सुकुल की बीबी, बिल्लेसुर बकरिहा, जागो फिर एक बार और वनबेला जैसी उनकी अविस्मरणीय कृतियाँ सामने आयीं।
- १ ५ अक्टूबर १ ९ ६ १ को जूही की कली, तुलसीदास, राम की शक्ति-पूजा, सरोज-स्मृति, वह तोड़ती पत्थर, रानी और कानी, कुकुरमुत्ता (कवितायें), देवी, लिली, चतुरी चमार, कुल्लीभाट, बिल्लेसुर बकरिहा (गद्य रचनायें) जैसी अनेक कालजयी कृतियों के इस अमर रचनाकार ने अपना पार्थिव शरीर त्याग दिया।