प्रतिकूल कब्जा sentence in Hindi
pronunciation: [ pertikul kebjaa ]
"प्रतिकूल कब्जा" meaning in English
Examples
- प्रश्नगत सम्पत्ति " क" पर प्रतिवादीगण को अपना प्रतिकूल कब्जा साबित करने के लिये सर्व प्रथम प्रश्नगत सम्पत्ति "क" पर वादी ट्रस्ट के स्वामित्व को स्वीकार करना आवश्यक है अर्थात प्रश्नगत सम्पत्ति पर वादी के वास्तविक स्वामित्व को स्वीकार करते हुये वादी के विरूद्ध प्रश्नगत सम्पत्ति पर प्रतिवादीगण को प्रतिकूल कब्जा साबित करना आवश्यक है।
- अपीलार्थी-वादीगण के विद्धान अधिवक्ता द्वारा कुछ नजीरें प्रस्तुत की गई हैं और यह कहा गया है कि यदि कोई सम्पत्ति हस्तान्तरित की जाती है और हस्तान्तरण का दस्तावेज शून्य हो जाता है तो उस दस्तावेज के आधार पर हस्तान्तरित कब्जे वाली भूमि पर प्रतिकूल कब्जा माना जायेगा और प्रतिकूल कब्जे की अवधि पूर्ण होने के बाद कब्जेदार की मिलकियत परिपक्व मानी जायेगी।
- साक्ष्यो की उपरोक्त संवीक्षा के प्रकाश मे प्रश्नगत सम्पत्ति " क" एवं "ख" वादी ट्रस्ट की सम्पत्ति पायी जाती है एवं सम्पत्ति "क" प्यारेलाल कोठारी को उसकी सेवा के एवज मे वादी ट्रस्ट द्वारा उसे रहने के लिये दिया जाना साबित होता है जब कि प्रतिवादीगण का यह कथन साबित नही होता है कि प्रतिवादीगण का प्रश्नगत दो कमरो पर प्रतिकूल कब्जा है।
- प्रस्तुत साक्ष्यो से यह तथ्य साबित होता है कि उक्त किचन स्व0 प्यारे लाल कोठारी द्वारा ही बनाया गया है परन्तु अनुमति प्राप्त होने के पश्चात किचन बनाने मात्र से ही प्रतिवादीगण का उक्त किचन अथवा प्रश्नगत सम्पत्ति पर न तो किसी प्रकार का स्वामित्व साबित होता है और न ही प्रतिवादीगण का प्रश्नगत सम्पत्ति पर किसी प्रकार का प्रतिकूल कब्जा ही साबित होता है।
- प्रतिवादीगण को इस तथ्य को भी साबित करना आवश्यक है कि प्रश्नगत सम्पत्ति पर कब्जा करने का आशय भी था और यह कब्जा वादी के स्वामित्व के विरूद्ध शन्तिपूर्ण, खुला और निरन्तर था परन्तु प्रतिवादीगण ने प्रश्नगत सम्पत्ति पर वादी के स्वामित्व से ही इन्कार किया है जबकि प्रतिवादीगण के कथनो एवं प्रस्तुत साक्ष्यो के प्रकाश मे प्रतिकूल कब्जा करने का आशय भी साबित नही होता है जिसके फलस्वरूप वादी के विरूद्ध प्रतिवादीगण द्वारा किये गये प्रतिकूल कब्जे का कथन साबित नही है।
- अपीलार्थी-वादीगण को यह बात स्वीकार है कि विवादित भूमि के सन्दर्भ में वर्ष 1955 में एक लीज डीड उनके पक्ष में सरकार द्वारा निष्पादित की गई थी, अपीलार्थी-वादीगण का अपने वाद पत्र व अपील मैमो में यह कहना है कि उक्त लीज डीड विवादित भूमि को नजूल भूमि मान कर तहरीर व तकमील किया गया था जो कि अपने आप में शून्य दस्तावेज है और इस शून्य दस्तावेज के आधार पर उनको जो कब्जा प्राप्त हुआ है वह प्रतिकूल कब्जा हो जाता है और समयावधि बीतने के हिसाब से उनका प्रतिकूल कब्जा मिलकियत में परिवर्तित हो जाता है।
- अपीलार्थी-वादीगण को यह बात स्वीकार है कि विवादित भूमि के सन्दर्भ में वर्ष 1955 में एक लीज डीड उनके पक्ष में सरकार द्वारा निष्पादित की गई थी, अपीलार्थी-वादीगण का अपने वाद पत्र व अपील मैमो में यह कहना है कि उक्त लीज डीड विवादित भूमि को नजूल भूमि मान कर तहरीर व तकमील किया गया था जो कि अपने आप में शून्य दस्तावेज है और इस शून्य दस्तावेज के आधार पर उनको जो कब्जा प्राप्त हुआ है वह प्रतिकूल कब्जा हो जाता है और समयावधि बीतने के हिसाब से उनका प्रतिकूल कब्जा मिलकियत में परिवर्तित हो जाता है।