नारायणलाल परमार sentence in Hindi
pronunciation: [ naaraayenlaal permaar ]
Examples
- अब तक इस सम्मान से नारायणलाल परमार, श्यामलाल चतुर्वेदी, रमाकांत श्रीवास्तव, प्रभाकर चौबे, कुंतल गोयल तथा देवीसिंह चौहान को सम्मानित किया गया है।
- पहचान यात्रा का ऐतिहासिक प्रदेय यह है कि उसने राज्य के नामवर साहित्यकारों जैसे मुकुटधर पाण्डेय, नारायणलाल परमार, हरि ठाकुर जैसे लेखकों पर केंद्रित महत्वपूर्ण विशेषांक प्रकाशित किए।
- नारायणलाल परमार ने ' चंदैनी गोंदा ' पर अपने एक आलेख में इसके एक प्रस्तुतिकरण की उदघोषणा का सन्दर्भ देकर लिखा है कि यह प्रतीकात्मक रूप से कृषक-जीवन का ही चित्रण है.
- नारायणलाल परमार, निरंकारदेव सेवक, दामोदर अग्रवाल, रमेशचन्द्र पंत, उदय कैरोला, हरिकृष्ण देवसरे, राष्ट्रबंधु, कृष्ण शलभ ने अपना पूरा जीवन बालसाहित्य की क्या कम सेवा की है ।
- उन दिनों नारायणलाल परमार, विभु खरे, आचार्य सरोज द्विवेदी, रवीन्द्र कंचन, डा. राजेन्द्र सोनी, डा. महेन्द्र ठाकुर, चेतन आर्य, जय प्रकाश मानस, भावसिंह हिरवानी देश के प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर छपते रहे हैं।
- उन्हीं दिनों सर्वश्री यदुनंदन प्रसाद श्रीवास्तव, नारायणलाल परमार, शरद कोठारी, हनुमंत लाल बख्शी, श्याम व्यास, प्रदीप कुमार, प्रदीप, हिमाद्रि, भारत चंद्र काबरा, प्रमोद वर्मा, चंद्रिका प्रसाद सक्सेना और देवी प्रसाद वर्मा सहित अनेक कथाकारों की कहानियाँ प्रकाश में आई।
- इसी प्रकार श्रीरामगोपाल कश्यप ने ' माटी के मोल ', डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा ने सोनहा बिहान, गुरू चेला, भोला बनाइले, महेत्तर साहू ने ' राजा बेटा ', नारायणलाल परमार ने ' भुल सुधार ' और भुवनलाल मिश्र ने ' रतिहा मदरसा ' नामक छत्तीसगढ़ी नाटक लिखकर नाट्य परंपरा को पुष्ट किया है।
- देश के श्रेष्ठ बालकवि नारायणलाल परमार की बाल लेखन परम्परा में इंदिरा परमार, डॉ. रचना मिश्र, लक्ष्मी नारायण पयोधि, अनवार आलम, शंभूलाल शर्मा वसंत, गिरीश पंकज, संजय अलंग, चम्पा मावले, डॉ. शकुंतला चौधरी, इंदरमन साहू, जयप्रकाश मानस, अक्षय मिश्र, ठाकुर जीवन सिंह, डॉ. श्यामसुन्दर त्रिपाठी, एस.आर.शर्मा, डॉ. शोभाकांत झा, स्वराज्य करुण, देवेन्द्र शर्मा पुष्प, इन्द्रपाल पटनायक आदि ऐसे रचनाकार हैं जिनकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैं।
- 70 के दशक में पं. द्वारिका प्रसाद तिवारी, बाबू प्यारेलाल गुप्त, कोदूराम दलित, हरि ठाकुर, श्यामलाल चतुर्वेदी, कपिलनाथ कश्यप, बद्रीविशाल परमानंद, नरेन्द्र देव वर्मा, हेमनाथ यदु, भगवती सेन, नारायणलाल परमार, डॉ. विमल कुमार पाठक, लाला जगदलपुरी, केयूर भूषण, बृजलाल शुक्ल आदि ने छत्तीसगढ़ी साहित्य की विषय विविधता को सिद्ध कर दिखाया।
- डॉ. रामेश्वर शुक्ल ' अंचल ', श्री बल्देवप्रसाद मिश्र, साहित्य वाचस्पति द्वय पंडित लोचनप्रसाद पांडेय और पंडित मुकुटधर पांडेय, श्री शेषनाथ शर्मा ' शील ', श्री गुरूदेव काश्यप, पंडित जगदीश प्रसाद तिवारी, श्री रामअधीर, डॉ. विनय कुमार पाठक, श्री रामप्रताप सिंह ' विमल ', श्री गौरीशंकर श्रीवास्तव, डॉ. प्यारेलाल गुप्त, श्री नारायणलाल परमार, श्री दौलतराम थवाईत आदि अनेक प्रभृति जनों के सत्संग में उनकी लेखनी को दिशा मिली और वह निरंतर प्रवाहित होती रही...