द्वाररक्षक sentence in Hindi
pronunciation: [ devaarerkesk ]
"द्वाररक्षक" meaning in English
Examples
- अगली कडी के रूप में द्वाररक्षक का ओवरटाईम बन्द होने का श्राप इशू करने हेतु जल के लिये उन्होंने अपने कमंडल में हाथ डाला तो पाया कि जैसे किसी सरकारी योजना का पैसा गंतव्य तक पहुंचने से पहले ही चुक जाता है वैसे ही उनके कमंडल का सारा पानी श्रापोयोग से पहले ही चू गया था.
- नारदजी ने पहले तो, अरे तुम मुझे नहीं पहचानते का आश्चर्यभाव तथा उसके ऊपर अपने अपमान से उत्पन्न क्रोध का ब्रम्हतेज धारण किया.अगली कडी के रूप में द्वाररक्षक का ओवरटाईम बन्द होने का श्राप इशू करने हेतु जल के लिये उन्होंने अपने कमंडल में हाथ डाला तो पाया कि जैसे किसी सरकारी योजना का पैसा गंतव्य तक पहुंचने से पहले ही चुक जाता है वैसे ही उनके कमंडल का सारा पानी श्रापोयोग से पहले ही चू गया था.मजबूरन नारदजी ने अपने चेहरे की मेज से ब्रम्हतेज की फाईलें समेट कर उस पर दीनता के कागज फैलाये.
- नारदजी ने पहले तो, अरे तुम मुझे नहीं पहचानते का आश्चर्यभाव तथा उसके ऊपर अपने अपमान से उत्पन्न क्रोध का ब्रम्हतेज धारण किया.अगली कडी के रूप में द्वाररक्षक का ओवरटाईम बन्द होने का श्राप इशू करने हेतु जल के लिये उन्होंने अपने कमंडल में हाथ डाला तो पाया कि जैसे किसी सरकारी योजना का पैसा गंतव्य तक पहुंचने से पहले ही चुक जाता है वैसे ही उनके कमंडल का सारा पानी श्रापोयोग से पहले ही चू गया था.मजबूरन नारदजी ने अपने चेहरे की मेज से ब्रम्हतेज की फाईलें समेट कर उस पर दीनता के कागज फैलाये.
- वीणा की टुनटुनाहट के बीच अपने इस बार के मृत्युलोक डेपुटेशन के ओवरस्टे को स्वीकृत कराने के बहाने सोचते हुये नारद जी स्वर्गलोक के मुख्यद्वार पर पहुंचे. द्वाररक्षक ने उन्हें कोई टुटपुंजिया सप्लायर समझकर गेट पर ही रोक लिया.इस दौरे में इक्कीसवीं बार नारदजी ने अपना विजिटिंग कार्ड साथ लेकर न चलने की मूर्खता पर धिक्कारा.बहरहाल,कुछ देर तक तो वे इस दुविधा में रहे कि इसे वे अपना सम्मान समझें या अपमान.बाद में किसी त्वरित निर्णय लेने मे समर्थ अधिकारी की भांति,जो होगा देखा जायेगा का नारा लगाकर,उन्होंने इसे अपना अपमान समझने का बोल्ड निर्णय ले लिया.
- वीणा की टुनटुनाहट के बीच अपने इस बार के मृत्युलोक डेपुटेशन के ओवरस्टे को स्वीकृत कराने के बहाने सोचते हुये नारद जी स्वर्गलोक के मुख्यद्वार पर पहुंचे. द्वाररक्षक ने उन्हें कोई टुटपुंजिया सप्लायर समझकर गेट पर ही रोक लिया.इस दौरे में इक्कीसवीं बार नारदजी ने अपना विजिटिंग कार्ड साथ लेकर न चलने की मूर्खता पर धिक्कारा.बहरहाल,कुछ देर तक तो वे इस दुविधा में रहे कि इसे वे अपना सम्मान समझें या अपमान.बाद में किसी त्वरित निर्णय लेने मे समर्थ अधिकारी की भांति,जो होगा देखा जायेगा का नारा लगाकर,उन्होंने इसे अपना अपमान समझने का बोल्ड निर्णय ले लिया.