चौरीचौरा काण्ड sentence in Hindi
pronunciation: [ chaurichauraa kaaned ]
Examples
- 5 फरवरी 1922 को चौरीचौरा काण्ड के बाद बीच में ही असहयोग आन्दोलन वापस लेकर गाँधी जी ने यह जता दिया कि वे हिंसा की बजाय अहिंसक तरीकों से भारत की आजादी चाहते हैं।
- 1921 ई0 में कांग्रेस के नेताओं तथा स्वयंसेवकों से जेल भर जाने पर किंकर्तव्यविमूढ़ वाइसराय लॉर्ड रीडिंग को प्रान्तों में स्वशासन देकर गान्धीजी से सन्धि कर लेने को मालवीयजी ने भी सहमत कर लिया था परन्तु 4 फरवरी 1922 के चौरीचौरा काण्ड ने इतिहास को पलट दिया;
- किन्तु १९२२ में जब चौरीचौरा काण्ड के पश्चात् किसी से परामर्श किये बिना गान्धी जी ने डिक्टेटरशिप दिखाते हुए असहयोग आन्दोलन वापस ले लिया तो १९२२ की गया कांग्रेस में बिस्मिल व उनके साथियों ने गान्धी का ऐसा विरोध किया कि कांग्रेस में फिर दो विचारधारायें बन गयीं-एक उदारवादी या लिबरल और दूसरी विद्रोही या रिबेलियन।
- किन्तु १९२२ में जब चौरीचौरा काण्ड के पश्चात् किसी से परामर्श किये बिना गान्धी जी ने डिक्टेटरशिप दिखाते हुए असहयोग आन्दोलन वापस ले लिया तो १९२२ की गया कांग्रेस में बिस्मिल व उनके साथियों ने गान्धी का ऐसा विरोध किया कि कांग्रेस में फिर दो विचारधारायें बन गयीं-एक उदारवादी या लिबरल और दूसरी विद्रोही या रिबेलियन।
- किन्तु १९२२ में जब चौरीचौरा काण्ड के पश्चात् किसी से परामर्श किये बिना गान्धी जी ने डिक्टेटरशिप दिखाते हुए असहयोग आन्दोलन वापस ले लिया तो १९२२ की गया कांग्रेस में बिस्मिल व उनके साथियों ने गान्धी जी का ऐसा विरोध किया कि कांग्रेस में फिर दो विचारधारायें बन गयीं-एक उदारवादी या लिबरल और दूसरी विद्रोही या रिबेलियन।
- किन्तु १ ९ २२ में जब चौरीचौरा काण्ड के पश्चात् किसी से परामर्श किये बिना गान्धी जी ने डिक्टेटरशिप दिखाते हुए असहयोग आन्दोलन वापस ले लिया तो १ ९ २२ की गया कांग्रेस में बिस्मिल व उनके साथियों ने गान्धी का ऐसा विरोध किया कि कांग्रेस में फिर दो विचारधारायें बन गयीं-एक उदारवादी या लिबरल और दूसरी विद्रोही या रिबेलियन।
- इसका प्रमाण था 1919-22 के दौरान का प्रचण्ड साम्राज्यवाद विरोधी आन्दोलन जिसकी कमान जब बुर्जुआ वर्ग और उसकी पार्टी कांग्रेस के हाथ से निकलती दीखी, ‘ समझौता-दबाव-समझौता ' की रणनीति में दबाव का पहलू जब बुर्जुआ सीमाओं को लाँघने का ख़तरा पैदा करने लगा, तो गाँधी ने चौरीचौरा काण्ड के बहाने असहयोग आन्दोलन को वापस ले लिया।
- 1921 ई 0 में कांग्रेस के नेताओं तथा स्वयंसेवकों से जेल भर जाने पर किंकर्तव्यविमूढ़ वाइसराय लॉर्ड रीडिंग को प्रान्तों में स्वशासन देकर गान्धीजी से सन्धि कर लेने को मालवीयजी ने भी सहमत कर लिया था परन्तु 4 फरवरी 1922 के चौरीचौरा काण्ड ने इतिहास को पलट दिया ; गान्धीजी ने बारदौली की कार्यकारिणी में बिना किसी से परामर्श किये सत्याग्रह को अचानक रोक दिया।