किरातार्जुनीयम् sentence in Hindi
pronunciation: [ kiraataarejuniyem ]
Examples
- वृणुते हि विमृश्यकारिणं गुणलुब्धाः स्वयमेव सम्पदः ॥ ३ ० ॥ (महाकवि भारवि द्वारा रचित किरातार्जुनीयम्, द्वितीय सर्ग) (क्रियां सहसा न विदधीत, अविवेकः आपदां परम् पदम्, विमृश्यकारिणं हि गुणलुब्धाः सम्पदः स्वयम् एव वृणुते ।
- महाकवि भारवि द्वारा वर्णित कथित श्लोक के अन्तर्गत यह अंतिम विशेषता है, अतः यह शृंखला यहाँ समाप्त होगी, तथापि महाकवि भारवि ने ‘ किरातार्जुनीयम् ' में ही इसी प्रसंग में उत्तम भाषा के सन्दर्म में कुछ और गुणों का उल्लेख किया है, जिनकी चर्चा फिर कभी की जाएगी।