आईदान सिंह भाटी sentence in Hindi
pronunciation: [ aaeaan sinh bhaati ]
Examples
- मैंने आकाशवाणी के लिए एक फीचर बनाया था रेगिस्तान का जहाज ऊंट उसी की स्क्रिप्टिंग के दौरान मूर्धन्य साहित्यकार डॉ. आईदान सिंह भाटी के एक आलेख में इस अपभ्रंश का उल्लेख मिला था.
- राजस्थानी के कवि डॉ. आईदान सिंह भाटी ने ‘ बाजार में सांरगी ' कविता का राजस्थानी में तथा ‘ शायद आप भी कभी ऐसा ही सोचते हो ' कविता का हिन्दी में पाठ किया।
- साहित्य अकादेमी अवार्ड से पुरस्कृत राजस्थानी के मूर्धन्य साहित्यकार डॉ आईदान सिंह भाटी ने कहा है कि वर्तमान समय में समाज व संस्कृति पर जो आक्रमण व अतिक्रमण हो रहे हैं, भाषा ही उनसे मुकाबला कर सकती है।
- अपनी तमाम निजी किस्म की बातों जिनमें इस ब्लॉग की तरफ बहुत कुछ रूमानियत से भरा है, को परे रखते हुए आपके सामने राजस्थानी के वरिष्ठ और महत्वपूर्ण कवि डॉ. आईदान सिंह भाटी की एक कविता रख रहा हूँ.
- ! शायद आईदान सिंह भाटी ही एक ऐसे लेखक है जो बात पर कुछ बात करने का बड़ा नाम और हुनर रखते है वैसे तो बात और लोक साहित्य हमारे खून में है सो कोई भी लिखक बात पर बात कर सकता है..
- बैठक में जिला सह संघ चालक चिरंजीलाल सोनी, खेताराम लीलड़, भाजपा के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य व वरिष्ठ नेता शैतानसिंह, पूर्व विधायक सांग सिंह भाटी, नगरपालिका अध्यक्ष छोटेश्वरी देवी माली, उपाध्यक्ष राजेन्द्र शर्मा, पार्षद धूड़ाराम सोनी, खेताराम माली, युवा नेता आईदान सिंह भाटी, मदनसिंह राजमथाई, महेश गुचिया, अनिल रंगा, जुगलकिशोर व्यास, रणवीरसिंह गोदारा, दलपतसिंह पूनमनगर आदि उपस्थित थे।
- हम भी इसी सम्मोहन से बंधे डॉ गुप्ता से विदा ले कर अब जोशियों के निचले वास में पहुँच चुके थे संकरी गलियों में स्थानीय प्रिंट उद्योग के रसायनों की गंध तैर रही थी, विदेशी बबूलों के नीचे छाया की आस में बकरियां बाँधी गई थी किंतु वे थी पूरी धूप में, यहाँ दूसरे डॉक्टर अर्थात साहित्य मनीषी डॉ आईदान सिंह भाटी रहते है, आपका इस शहर और ख़ास इस मुहल्ले से बड़ा लगाव है।
- पन्ना लाल पन्नल से ले कर कमल शर्मा राही तक के सफ़र में कोई पचास नाम कवियों के लिए जा सकते थे इनमे महाविद्यालय के एक प्रवक्ता मैं मैं और तू तू की कविता कर ख़ुद को धनी जानते थे नामवर सिंह और प्रो विमल के शिष्य डॉ आईदान सिंह भाटी अपना खार पता नही कहाँ निकालते थे पर जोधपुर रेलवे स्टेशन के बाहर हर शाम जुटने वाले रचनाकारों के बीच नियमित अन्तराल पर वे अपनी साहित्यिक भूख मिटा आते थे।