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व्यतीपात meaning in Hindi

pronunciation: [ veytipaat ]
व्यतीपात meaning in English

Examples

  1. अमावस्या , पूर्णिमा , एकादशी , संक्रांति , माघ , अषाढ़ , वैशाख और कार्तिक पूर्णिमा , सोमवती अमावस्या , युग तिथि , गजच्छाया , अश्विन कृष्ण त्रयोदशी ; व्यतीपात और वैध्रिती नामक योग , पिता की मृत्यु तिथि आदि को नैमित्तिक समय दान के लिए कहा जाता है।
  2. अमावस्या , पूर्णिमा , एकादशी , संक्रांति , माघ , अषाढ़ , वैशाख और कार्तिक पूर्णिमा , सोमवती अमावस्या , युग तिथि , गजच्छाया , अश्विन कृष्ण त्रयोदशी ; व्यतीपात और वैध्रिती नामक योग , पिता की मृत्यु तिथि आदि को नैमित्तिक समय दान के लिए कहा जाता है।
  3. 16 . अर्जी-दावा दायर करने का मुहूर्त-भद्रा , वैधृति , व्यतीपात सहित रिक्त तिथि 4,9 ,14 मंगलवार , शनिवार को भरणी , कृतिका , आद्र्रा , आश्लेषा , मधा , पू . फा . , विशाखा , ज्येष्ठा , पू . षा , धनिष्ठा , शतभिषा और पू . भा . नक्षत्र मिले तो चर लग्न में नालिश-अर्जी-दावा दायर करना चाहिये। पपपप
  4. 16 . अर्जी-दावा दायर करने का मुहूर्त-भद्रा , वैधृति , व्यतीपात सहित रिक्त तिथि 4,9 ,14 मंगलवार , शनिवार को भरणी , कृतिका , आद्र्रा , आश्लेषा , मधा , पू . फा . , विशाखा , ज्येष्ठा , पू . षा , धनिष्ठा , शतभिषा और पू . भा . नक्षत्र मिले तो चर लग्न में नालिश-अर्जी-दावा दायर करना चाहिये। पपपप
  5. विष्णु धर्मसूत्र [ 305 ] का कहना है कि जब सूर्य एक राशि से दूसरा राशि में जाता है तो दोनों विषुवीय दिन , विशेषत : उत्तरायण एवं दक्षिणायन के दिन , व्यतीपात , कर्ता जन्म की राशि , पुत्रोत्पत्ति आदि के उत्सवों का काल - आदि काम्य काल हैं और इन अवसरों पर किया गया श्राद्ध ( पितरों को ) अनन्त आनन्द प्रदान करता है।
  6. विष्णु धर्मसूत्र [ 305 ] का कहना है कि जब सूर्य एक राशि से दूसरा राशि में जाता है तो दोनों विषुवीय दिन , विशेषत : उत्तरायण एवं दक्षिणायन के दिन , व्यतीपात , कर्ता जन्म की राशि , पुत्रोत्पत्ति आदि के उत्सवों का काल - आदि काम्य काल हैं और इन अवसरों पर किया गया श्राद्ध ( पितरों को ) अनन्त आनन्द प्रदान करता है।
  7. मौनी अमावस्या , इस पवीत्र तीथी पर मौन रह कर, तथा मुनीओं के समन आचरण पूर्वक स्नान दान करने का वीशेष महत्त्व है, इस दीन त्रिवेणी तथा गंगा तट पर स्नान दान की अपर महीमा है, इस दीन सोम वर हो तो इसका महत्त्व बढ़ जाता है, और इस दीन यदी रविवार, व्यतीपात योग या शरवन नक्षत्र हो (जैसे की श्रवण नक्षत्र है सुबह 8:28 तक) तो अर्धोदय योग होता है, इस योग में सभी स्थानों का जल गंगा तुल्य हो जाता है
  8. भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की तृतीया तिथि , शनिवार , कृतिका नक्ष्ज्ञत्र , व्यतीपात योग , विष्टि करण , भद्रा के मध्य में कुलिक मूहूर्त में वास्तु की उत्पत्ति हुई उसके भंयकर गर्जना से चकित होकर ब्रह्मा ने कहा जो भी व्यक्ति ग्राम , नगर , दुर्ग , यरही , मकान , प्रसाद , जलाशय , उद्यान के निर्माणारम्भ के समय मोहवश आपकी उपासना नहीं करेगा या आपके यंत्र को स्थापित नहीं करेगा वह पग-पग बांधाओं का सामना करेगा और जीवन पर्यंत अस्त-व्यस्त रहेगा।
  9. भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की तृतीया तिथि , शनिवार , कृतिका नक्ष्ज्ञत्र , व्यतीपात योग , विष्टि करण , भद्रा के मध्य में कुलिक मूहूर्त में वास्तु की उत्पत्ति हुई उसके भंयकर गर्जना से चकित होकर ब्रह्मा ने कहा जो भी व्यक्ति ग्राम , नगर , दुर्ग , यरही , मकान , प्रसाद , जलाशय , उद्यान के निर्माणारम्भ के समय मोहवश आपकी उपासना नहीं करेगा या आपके यंत्र को स्थापित नहीं करेगा वह पग-पग बांधाओं का सामना करेगा और जीवन पर्यंत अस्त-व्यस्त रहेगा।
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