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वन्ध्या meaning in Hindi

pronunciation: [ vendheyaa ]
वन्ध्या meaning in English

Examples

  1. ( दी डोमेस्टिक शोर्थैर ,ऐ १३ ईयर ओल्ड कास्त्रेतिद मेल अपेरेंतली कॉटऐ (एच १ एन १ ) ऑफ़ इट्स ओनर ) यह संक्रमण मालिक से बिल्ली तक पहुंचा -यही कहना है -ब्रेट स्पोंसेलर (सहायक प्रोफेसर पशु -शूक्ष्म जैव -विज्ञान ,आयोवा स्टेट कालिज ऑफ़ वेतिरिनारी मेडिसन )का जिन्होनें इस वन्ध्या कृत किए जा चुके बिलाऊ (कास्त्रेतिद मेल केट )को चिकित्सा मुहैया करवाई है ।
  2. संसारी वस्तुओं से सुख प्राप्ति की इच्छा उसी प्रकार है जैसे बन्ध्या के पुत्र के विवाह की तैयारी - वन्ध्या का पुत्र ही नहीं है तो उसका विवाह क्या होगा ! धन , स्त्री , पुत्रादि संसारी वस्तुओं में सुख जब है ही नहीं , तो इनसे सुख मिलेगा कैसे ! परन्तु अविवेक से अनिष्ट में इष्ट बुद्धि कर ली गई है।
  3. ( दी डोमेस्टिक शोर्थैर , ऐ १ ३ ईयर ओल्ड कास्त्रेतिद मेल अपेरेंतली कॉटऐ ( एच १ एन १ ) ऑफ़ इट्स ओनर ) यह संक्रमण मालिक से बिल्ली तक पहुंचा -यही कहना है -ब्रेट स्पोंसेलर ( सहायक प्रोफेसर पशु -शूक्ष्म जैव -विज्ञान , आयोवा स्टेट कालिज ऑफ़ वेतिरिनारी मेडिसन ) का जिन्होनें इस वन्ध्या कृत किए जा चुके बिलाऊ ( कास्त्रेतिद मेल केट ) को चिकित्सा मुहैया करवाई है ।
  4. नाश से डरे हुए जंगल ने उनके भीतर रोप दीं अपनी सारी वनस्पतियां आग न लग जाए कहीं , वन्ध्या न हो जाए धरती की कोख सो , अकुलाई धरती ने शर्मो-हया का लिबास फेंक जिस्म पर उकेरा खजाने का नक्शा आँखों में लिख दिया पहाड़ों ने अपनी हर परत के नीचे गड़ा गुप्त ज्ञान कुबेर के कभी न भरने वाले रथ पर सवार हो आये वे उन्मत्त आये अबकी वसंत में उतार रहे गर्दन.
  5. नाश से डरे हुए जंगल ने उनके भीतर रोप दीं अपनी सारी वनस्पतियां आग न लग जाए कहीं , वन्ध्या न हो जाए धरती की कोख सो , अकुलाई धरती ने शर्मो-हया का लिबास फेंक जिस्म पर उकेरा खजाने का नक्शा आँखों में लिख दिया पहाड़ों ने अपनी हर परत के नीचे गड़ा गुप्त ज्ञान कुबेर के कभी न भरने वाले रथ पर सवार हो आये वे उन्मत्त आये अबकी वसंत में उतार रहे गर्दन.
  6. नाश से डरे हुए जंगल ने उनके भीतर रोप दीं अपनी सारी वनस्पतियां आग न लग जाए कहीं , वन्ध्या न हो जाए धरती की कोख सो , अकुलाई धरती ने शर्मो-हया का लिबास फेंक जिस्म पर उकेरा खजाने का नक्शा आँखों में लिख दिया पहाड़ों ने अपनी हर परत के नीचे गड़ा गुप्त ज्ञान कुबेर के कभी न भरने वाले रथ पर सवार हो आये वे उन्मत्त आये अबकी वसंत में उतार रहे गर्दन.
  7. नाश से डरे हुए जंगल ने उनके भीतर रोप दीं अपनी सारी वनस्पतियां आग न लग जाए कहीं , वन्ध्या न हो जाए धरती की कोख सो , अकुलाई धरती ने शर्मो-हया का लिबास फेंक जिस्म पर उकेरा खजाने का नक्शा आँखों में लिख दिया पहाड़ों ने अपनी हर परत के नीचे गड़ा गुप्त ज्ञान कुबेर के कभी न भरने वाले रथ पर सवार हो आये वे उन्मत्त आये अबकी वसंत में उतार रहे गर्दन.
  8. नाश से डरे हुए जंगल ने उनके भीतर रोप दीं अपनी सारी वनस्पतियां आग न लग जाए कहीं , वन्ध्या न हो जाए धरती की कोख सो , अकुलाई धरती ने शर्मो-हया का लिबास फेंक जिस्म पर उकेरा खजाने का नक्शा आँखों में लिख दिया पहाड़ों ने अपनी हर परत के नीचे गड़ा गुप्त ज्ञान कुबेर के कभी न भरने वाले रथ पर सवार हो आये वे उन्मत्त आये अबकी वसंत में उतार रहे गर्दन .
  9. नाश से डरे हुए जंगल ने उनके भीतर रोप दीं अपनी सारी वनस्पतियां आग न लग जाए कहीं , वन्ध्या न हो जाए धरती की कोख सो , अकुलाई धरती ने शर्मो-हया का लिबास फेंक जिस्म पर उकेरा खजाने का नक्शा आँखों में लिख दिया पहाड़ों ने अपनी हर परत के नीचे गड़ा गुप्त ज्ञान कुबेर के कभी न भरने वाले रथ पर सवार हो आये वे उन्मत्त आये अबकी वसंत में उतार रहे गर्दन .
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