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मांडव्य meaning in Hindi

pronunciation: [ maanedvey ]
मांडव्य meaning in English

Examples

  1. राजा की आज्ञा से चोरों के साथ मांडव्य को भी शूली पर चढ़ा दिया गया | चोर तो शूली पर चढ़ाए जाने के तुरंत बाद ही मर गए , किंतु मांडव्य शूली पर भी जीवित रहे और तप करते रहे |
  2. राजा की आज्ञा से चोरों के साथ मांडव्य को भी शूली पर चढ़ा दिया गया | चोर तो शूली पर चढ़ाए जाने के तुरंत बाद ही मर गए , किंतु मांडव्य शूली पर भी जीवित रहे और तप करते रहे |
  3. मांडव्य ऋषि ने धर्मराज के पहुँच कर प्रश्न किया कि तुमने मझे मेरे किस पाप के कारण शूली पर चढ़वाया ? धर्मराज ने कहा कि आपने बचपन में एक टिड्डे को कुश को नोंक से छेदा था , इसी पाप में आप को यह दंड मिला।
  4. राजा ने मांडव्य को शूली से नीचे उतारा | उन्होंने उनके शरीर में चुभे हुए शूलों को निकालने का प्रयत्न किया , पर आधे शूल तो बाहर निकले , आधे भीतर ही टूट कर रह गए | फिर भी मांडव्य जीवित रहे | आधे शूल भीतर रहने के कारण लोग उन्हें अणि मांडव्य कहने लगे |
  5. राजा ने मांडव्य को शूली से नीचे उतारा | उन्होंने उनके शरीर में चुभे हुए शूलों को निकालने का प्रयत्न किया , पर आधे शूल तो बाहर निकले , आधे भीतर ही टूट कर रह गए | फिर भी मांडव्य जीवित रहे | आधे शूल भीतर रहने के कारण लोग उन्हें अणि मांडव्य कहने लगे |
  6. राजा ने मांडव्य को शूली से नीचे उतारा | उन्होंने उनके शरीर में चुभे हुए शूलों को निकालने का प्रयत्न किया , पर आधे शूल तो बाहर निकले , आधे भीतर ही टूट कर रह गए | फिर भी मांडव्य जीवित रहे | आधे शूल भीतर रहने के कारण लोग उन्हें अणि मांडव्य कहने लगे |
  7. धीरे-धीरे कई महीने बीत गए , किंतु मांडव्य बिना खाए-पिए ही शूली पर जीवित रहे | जब यह समाचार राजा के कानों में पड़ा तो वे मांडव्य के पास उपस्थित हुए और श्रद्धा प्रकट करते हुए बोले , “ मुनिश्रेष्ठ ! मैं निरपराध हूं | मुझे आपके संबंध में कुछ भी पता नहीं था | ”
  8. धीरे-धीरे कई महीने बीत गए , किंतु मांडव्य बिना खाए-पिए ही शूली पर जीवित रहे | जब यह समाचार राजा के कानों में पड़ा तो वे मांडव्य के पास उपस्थित हुए और श्रद्धा प्रकट करते हुए बोले , “ मुनिश्रेष्ठ ! मैं निरपराध हूं | मुझे आपके संबंध में कुछ भी पता नहीं था | ”
  9. मांडव्य का शाप सत्य सिद्ध हुआ | उनके श्राप के ही कारण धर्मराज ने विदुर के रूप में दासी के गर्भ से जन्म धारण किया था | विदुर भगवान के भक्त थे , ऊंचे विचारों के थे और पांडवों के बड़े हितैषी थे | किंतु यह बात तो सत्य है ही कि वे नीच कुल के समझे जाते थे |
  10. सूरत राम ठाकुर की अध्यक्षता में मांडव्य कला मंच के त्रैवार्षिक चुनाव भी संपन्न करवाए गए , जिसमें सर्वसम्मति से कुलदीप गुलेरिया को लगातार 11 वीं प्रधान चुन लिया गया , जबकि कुमारी ललिता बांगिया वरिष्ठ उपप्रधान , विनोद गुलेरिया महासचिव , रमा गुलेरिया कोषाध्यक्ष , तेजिंद्र चंदेल कार्यालय सचिव , अभय , कुलदीप , केशव , श्यामा गुलेरिया व यामिनी को कार्यकारिणी सदस्य बनाया गया।
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