मतवालापन meaning in Hindi
pronunciation: [ metvaalaapen ]
Examples
- अब शरीर के काम स्पष्ट हैं , अर्थात् व्यभिचार , अशुद्धता , कामुकता , मूर्तिपूजा , जादूटोना , बैर , झगड़ा , ईष्र्या , क्रोध , मतभेद , फूट , दलबन्दी , द्वेष , मतवालापन , रंगरेलियां तथा इस प्रकार के अन्य काम हैं ...
- बाधाओं , विषाद, दोष, कारावास, अवरोधों, आचारभ्रष्टीकरण, बंधन, नौकरों, हवा रोगों, बुराई प्रयोजनों, दुख, चोटों, जोखिम, कार्य करता है, जेलों, चोर, खनिक, ईंट, परतों मतलब , आधार चालें, हबशियों, मतवालापन, जुआ, तेल, बीज, बर्तन, ऊनी कपड़े, वास्तु कौशल, लोहा, सीसा, अवर आदेश, अनाज, पश्चिमी दिशा, वातावरण, परंपरावादियों, चक्कर हवाओं और तूफान,
- व्यभिचार , नपुंसकता, परित्याग, 1 वर्ष के लिए बगल में पहले से दाखिल शिकायत की, आदत मतवालापन, नशीली दवाओं की लत, क्रूर और अपमानजनक इलाज, या, अगर एक पति या पत्नी पर्याप्त क्षमता की जा रही है, मोटे तौर पर या मनमौजीपन से मना कर दिया और निर्दयतापूर्वक या के लिए उपयुक्त प्रदान
- “शरीर के काम तो प्रगट हैं , अर्यात व्यभिचार, गन्दे काम, लुचपन, मूर्तिपूजा, टोना, बैर, झगड़ा, ईर्ष्या, क्रोध, विरोध , फूट, विधर्म, डाह, मतवालापन, लीलाक्रीड़ा और इनके जैसे और-और काम हैं, इनके विषय में मैं तुम को पहिले से कह देता हूँ जैसा पहिले कह भी चुका हूँ, कि ऐसे ऐसे काम करनेवाले परमेश्वर के राज्य के वारिस न होंगे।”
- प्रकाशित वाक् य 2 : 10 के अनुसार व् यभिचार , गन् दे काम , पूर्ति पूजा , टोन् हा , बैर , झगड़ा , ईर्ष् या , क्रोध , विरोध , विधर्म , डाह , मतवालापन , लीलाक्रीड़ा , आदि काम त् यागना है क् योंकि ऐसे काम करने वाले परमेश् वर के राज् य के वारिस नहीं होंगे।
- प्रकाशित वाक् य 2 : 10 के अनुसार व् यभिचार , गन् दे काम , पूर्ति पूजा , टोन् हा , बैर , झगड़ा , ईर्ष् या , क्रोध , विरोध , विधर्म , डाह , मतवालापन , लीलाक्रीड़ा , आदि काम त् यागना है क् योंकि ऐसे काम करने वाले परमेश् वर के राज् य के वारिस नहीं होंगे।
- “ शरीर के काम तो प्रगट हैं , अर्यात व्यभिचार , गन् दे काम , लुचपन , मूर्तिपूजा , टोना , बैर , झगड़ा , ईर्ष्या , क्रोध , विरोध , फूट , विधर्म , डाह , मतवालापन , लीलाक्रीड़ा और इनके जैसे और-और काम हैं , इनके विषय में मैं तुम को पहिले से कह देता हूँ जैसा पहिले कह भी चुका हूँ , कि ऐसे ऐसे काम करनेवाले परमेश्वर के राज्य के वारिस न होंगे।
- “ शरीर के काम तो प्रगट हैं , अर्यात व्यभिचार , गन् दे काम , लुचपन , मूर्तिपूजा , टोना , बैर , झगड़ा , ईर्ष्या , क्रोध , विरोध , फूट , विधर्म , डाह , मतवालापन , लीलाक्रीड़ा और इनके जैसे और-और काम हैं , इनके विषय में मैं तुम को पहिले से कह देता हूँ जैसा पहिले कह भी चुका हूँ , कि ऐसे ऐसे काम करनेवाले परमेश्वर के राज्य के वारिस न होंगे।