भारंगी meaning in Hindi
pronunciation: [ bhaarengai ]
Examples
- शृंग भस्म , भारंगी चूर्ण , काली मिर्च , मुनक्का , पिप्पली और खजूर को मिलाकर पीसं , े गोलियां बना लें और दिन में चार बार पानी के साथ लेने से हृदय-शूल से राहत मिलती है।
- * जवाखार , सम्हालू के बीज, पिप्पल, भारंगी, वायविडंग, रास्ना, छोटी इलायची के दाने, भुनी हुई हींग, सेंधा नमक और सोंठ सब 10 -10 ग्राम लेकर कूटकर बारीक चूर्ण कर लें और सबका चूर्ण मिलाकर शीशी में भर लें।
- करंज के पंचांग , यवासा , पुष्कर की जड़ , भारंगी , शटीप्रकन्द , कर्कटश्रंगी , इन्द्रयव , पटोलपत्र और कटुकी के प्रकन्द आदि को मिलाकर काढ़ा बना लें और इस काढ़े को दिन में 3 बार रोगी को सेवन कराएं।
- करंज के पंचांग , यवासा , पुष्कर की जड़ , भारंगी , शटीप्रकन्द , कर्कटश्रंगी , इन्द्रयव , पटोलपत्र और कटुकी के प्रकन्द आदि को मिलाकर काढ़ा बना लें और इस काढ़े को दिन में 3 बार रोगी को सेवन कराएं।
- 30 ग्राम बड़ा मुनक्का , 6 ग्राम कालीमिर्च, 6 ग्राम पियाबांसा, 6 ग्राम भारंगी, 6 ग्राम नागरमोथा, 6 ग्राम अतीस, 4 ग्राम बच, 4 ग्राम खुरासानी अजवाइन को एक साथ मिलाकर पीस लें, फिर इसमें 5 ग्राम शहद मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें।
- जैसे रास्ना , गोखरू , चित्रकमूल , हरसिंगार , सुरजान ( Colchicum Luteum ) , अशगंध ( Withania Somnifera ) , चव्य , इन्द्रजव , पाठा , वायविडंग , गजपीपल , कुटकी , अतीस , भारंगी मूल , मूर्वा , वच एवं गिलोय।
- जैसे रास्ना , गोखरू , चित्रकमूल , हरसिंगार , सुरजान ( Colchicum Luteum ) , अशगंध ( Withania Somnifera ) , चव्य , इन्द्रजव , पाठा , वायविडंग , गजपीपल , कुटकी , अतीस , भारंगी मूल , मूर्वा , वच एवं गिलोय।
- * जवाखार , सम्हालू के बीज , पिप्पल , भारंगी , वायविडंग , रास्ना , छोटी इलायची के दाने , भुनी हुई हींग , सेंधा नमक और सोंठ सब 10 -10 ग्राम लेकर कूटकर बारीक चूर्ण कर लें और सबका चूर्ण मिलाकर शीशी में भर लें।
- * जवाखार , सम्हालू के बीज , पिप्पल , भारंगी , वायविडंग , रास्ना , छोटी इलायची के दाने , भुनी हुई हींग , सेंधा नमक और सोंठ सब 10 -10 ग्राम लेकर कूटकर बारीक चूर्ण कर लें और सबका चूर्ण मिलाकर शीशी में भर लें।
- कूठ , मजीठ, देवदारु, वायविडंग, मुलहठी, भारंगी, कबीटफल का गूदा, बहेड़ा, पुनर्नवा की जड़, चव्य, जटामासी, फूल प्रियंगु, सारिवा, काला जीरा, निशोथ, रेणुका बीज (सम्भालू बीज), रास्ना, पिप्पली, सुपारी, कचूर, हल्दी, सोया (सूवा) पद्म काठ, नागकेसर, नागरमोथा, इन्द्र जौ, काक़ड़ासिंगी, विदारीकंद, शतावरी, असगन्ध और वराहीकन्द, सब 80-80 ग्राम।