प्रियंगु meaning in Hindi
pronunciation: [ periyengau ]
Examples
- घर में लोबान , गुगुल , राल , पीली सरसों , राई - देवदारू , कूठ , प्रियंगु , अगर - तगर , लोध्र , नागरमोथा आदि सामग्री को उपले पर रखकर जलाएं।
- चेटीः चन्द्र के समान भद्रवसन धारण करने वाली चिन्तिति हृदय की स्वामिनी आर्या अवन्तिका कहाँ हैं ? ( वासवदत्ता की ओर देखकर ) ओह , वे तो प्रियंगु लता के समीप शिलापट्ट पर विराजमान है।
- इसी तरह प्रियंगु , कुंद, चम्पक आदि कालिदास के प्रिय फूल हैं. भारतीयफूलों में रूप भी होता है, रंग भी और सुगंध भी अर्थात् उनका बाह्य ही रमणीय नहींहोता, उनमें आन्तरिक गुण की गरिमा (गंध) भी होती है.
- 8 . पथरी : मधुयष्टि , शिग्रुत्वाक , इलायची , पिप्पलीमूल , वासापत्र , पाषाण भेदमूल , प्रियंगु के बीज , छोटे गोखरू के फल तथा एरण्ड मूल सब को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें।
- 8 . पथरी : मधुयष्टि , शिग्रुत्वाक , इलायची , पिप्पलीमूल , वासापत्र , पाषाण भेदमूल , प्रियंगु के बीज , छोटे गोखरू के फल तथा एरण्ड मूल सब को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें।
- प्रियंगु अपनी अनेक संज्ञाओं , यथा फलप्रिया , शुभगा , नन्दिनी , मांगल्य , प्रिया , श्रेयसा , श्यामा , प्रियवल्लि , कृष्णपुष्पी इत्यादि के साथ प्राचीन संस्कृत काव्य-ग्रंथों व लगभग सभी आयुर्वेद-ग्रंथों में उपस्थित है ।
- 5 . बबूल, देवदारू, बेल की जड़ व प्रियंगु को धूप अथवा लोहबार के साथ मिश्रित करके मिट्टी के पात्र में रख लें तथा फिर उसे अग्नि से जलाकर उसके धुएं को पीड़ित जातक के ऊपर से उतारें।
- बबूल , देवदारु , बेल की जड़ व प्रियंगु को धूप अथवा लोहबान के साथ मिश्रित करके मिट्टी के पात्र में रख लें तथा फिर उसे अग्नि से जलाकर उसके धुंए को पीड़ित जातक के ऊपर से उतारें।
- प्रियंगु की जानकारी ज्ञानवर्धक रही -आपकी इस श्रृखला ने तो मुझे हजारी प्रसाद द्विवेदी जी के शिरीष के फूल जैसे निबंधों की याद दिला दी ! आप उन्ही की विस्मृत होती परम्परा के पुनरोद्घाटन में लगे हैं हिमांशु -स्नेहाशीष !
- यूँ तो इन ग्रंथों में अशोक , बकुल, तिलक, कुरबक- इन चार ही वृक्षों से सम्बन्धित कवि-प्रसिद्धियाँ मिलती हैं, परन्तु अन्यत्र कुछ स्थानों पर कर्णिकार (अमलतास), चंपक (चंपा), नमेरु(सुरपुन्नाग), प्रियंगु, मंदार, आम आदि वृक्ष-पुष्पों के भी स्त्री-क्रियायों से उदगमित होने के उल्लेख हैं ।