प्रमत्त meaning in Hindi
pronunciation: [ permett ]
Examples
- श्रीवल्लभ-नख-चन्द-छटा बिनु सब जग मांझ अधेरो॥ ' श्रीवल्लभ के प्रताप से प्रमत्त कुम्भनदास जी तो सम्राट अकबर तक का मान-मर्दन करने में नहीं झिझके-परमानन्ददासजी के भावपूर्ण पद का श्रवण कर महाप्रभु कई दिनों तक बेसुध पड़े रहे।
- कोई सोने की डिब्बी में , कोई चाँदी के और कोई हाथी दाँत के छोटे छोटे डिब्बों में वह पुनीत भस्म भर ले गये ! एक मुट्ठी भस्म के लिये हज़ारों स्त्री पुरूष प्रमत्त हो उठे थे .
- तुम्हारे पर्वतीयप्रदेश के उन्मादित समीकरण में एक रिपु यहाँ की नारियों के कोमल अंगों एवं मुक्तलास्यों मे प्रमत्त हो गया हैं , ऐसे समय में महाअनर्थ हो रहा हैं, इसलिए वीर पुत्रोंजागो, महाकाल को जगाओ ताकि शत्रु तुम्हारी जननी को स्वतंत्र कर दें.
- ७ - जो जो जन राजनीति वा प्रजा के अभीष् ट से विरुद्ध , स्वार्थी , क्रोधी और अविद्यादि रोगों से प्रमत्त होकर राजा और प्रजा के लिये अनिष् ट कर्म्म करे , वह वह इस सभा का सम्बन्धी न समझा जावे ।
- वाह क्या कहना इसके बहिश्त की प्रशंसा कि वह अरबदेश से भी बढ़कर दीखती है ! और जो मद्य मांस पी-खाके उन्मत्त होते हैं इसलिए अच्छी-अच्छी स्त्रियाँ और लौंडे भी वहाँ अवश्य रहने चाहिए नहीं तो ऐसे नशेबाजों के शिर में गरमी चढ़ के प्रमत्त हो जावें।
- प्रियाओं के साथ बलदेव जी उस सुगन्धमयी वारूणी ( मधु ) का पानकर रास-विलास में प्रमत्त हो गये जल-क्रीड़ा तथा गोपियों की पिपासा शान्त करने के लिए उन्होंने कुछ दूर पर बहती हुई यमुना जी को बुलाया , किन्तु न आने पर उन्होंने अपने हलके द्वारा यमुना जी को आकर्षित किया।
- मद्य भी मांस खाने का ही कारण है , इसी से यहां संक्षेप से थोड़ा-सा लिखते हैं - '' ' प्रमत्त - '' ' कहो जी ! मांस छूटा , सो छूटा , परन्तु मद्य में तो कोई भी दोष नहीं है ? '' ' शान्त - '' ' मद्य पीने में भी वैसे ही दोष हैं जैसे कि मांस खाने में ।
- मद्य भी मांस खाने का ही कारण है , इसी से यहां संक्षेप से थोड़ा-सा लिखते हैं - '' ' प्रमत्त - '' ' कहो जी ! मांस छूटा , सो छूटा , परन्तु मद्य में तो कोई भी दोष नहीं है ? '' ' शान्त - '' ' मद्य पीने में भी वैसे ही दोष हैं जैसे कि मांस खाने में ।
- मद्य भी मांस खाने का ही कारण है , इसी से यहां संक्षेप से थोड़ा-सा लिखते हैं - '' ' प्रमत्त - '' ' कहो जी ! मांस छूटा , सो छूटा , परन्तु मद्य में तो कोई भी दोष नहीं है ? '' ' शान्त - '' ' मद्य पीने में भी वैसे ही दोष हैं जैसे कि मांस खाने में ।
- तिन्हकर कहा करिय नहिं काना॥ राम को दशरथ-सुत से भिन्न कहने वाले अज्ञ , अकोविद् , अंध , अभागे , लंपट , कपटी , कुटिल , सपने में भी संतसभा न देखनेवाले , वेदविरूद्ध वचन बोलने वाले , लाभहानि विवेकरहित , अंधे , अगुनसगुन-विवेकरहित , कल्पित वचन बकने वाले , मायाग्रस्त होकर घूमनेवाले , बातूनी , भूतग्रस्त , बिनाविचारे बोलनेवाले , महामोहरूपी मदिरा पीकर प्रमत्त हैं।