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पिंगला नाड़ी meaning in Hindi

pronunciation: [ pinegalaa naadei ]
पिंगला नाड़ी meaning in English

Examples

  1. इंगला नाड़ी और पिंगला नाड़ी इन दोनों की शक्ति सीमा ब्रह्माण्ड है अर्थात परमात्मा , आदि-शक्ति और आत्मा को छोड़कर ब्रह्माण्ड का प्रत्येक कार्य इच्छानुसार इसके सहारे किया जा सकता है।
  2. जिस प्रकार इंगला नाड़ी मुलायम अथवा नरम कार्यों को करने के लिए नियत की गयी है , ठीक उसी प्रकार पिंगला नाड़ी कठोर अथवा कठिन कार्यों को करने के लिए नियत की गई है।
  3. ध्यान कीजिए कि सूर्य की किरणों जैसा प्रवाह वायु में संमिश्रित होकर दाहिने नासिका छिद्र में अवस्थित पिंगला नाड़ी द्वारा अपने शरीर में प्रवेश कर रहा है और उसकी ऊष्मा अपने भीतरी अंग- प्रत्यंगों को तेजस्वी बना रही है।
  4. ( 4 ) ध्यान कीजिए कि सूर्य की किरणों जैसा प्रवाह वायु में सम्मिलित होकर दाहिने नासिका छिद्र में अवस्थित पिंगला नाड़ी द्वारा अपने शरीर में प्रवेश कर रहा है और उसकी ऊष्मा अपने भीतरी अंग-प्रत्यंगों को तेजस्वी बना रही है ।
  5. ( क ) जिस स्वर को चलाना हो उसके उलटे करवट सिर के नीचे हाथ रखकर लेटने से स्वर बदल जाता है , अर्थात् यदि दाहिनी नासिका से स्वर प्रवाहित करना हो तो बायीं करवट थोड़ी देर तक लेटने से पिंगला नाड़ी चलने लगेगी।
  6. ( 10 ) बायाँ नथुना बन्द कीजिए और दाहिने से साँस धीरे- धीरे बाहर निकालिये ध्यान कीजिए कि सूर्यचक्र का कल्मष धुएँ की तरह तेजस्वी साँस में मिलकर उसे धुँधला पीला बना रहा है और पीली प्राण- वायु पिंगला नाड़ी द्वारा बाहर निकल रही है ।।
  7. पिंगला नाड़ी से स्वर प्रवाहित होने पर पृथ्वी तत्व का सूर्य से , जल का शनि से, अग्नि का मंगल से और वायु का राहु से सम्बन्ध माना जाता है तथा इड़ा नाड़ी में पृथ्वी का गुरू से, जल का चन्द्रमा से, अग्नि का शुक्र से और वायु का बुध से।
  8. भगवान शिव कहते हैं कि दाहिना स्वर चल रहा हो , स्वर में राहु हो ( अर्थात पिंगला नाड़ी में वायु तत्त्व सक्रिय हो ) और प्रश्नकर्त्ता दाहिनी ओर हो , तो इसका अर्थ हुआ कि वह व्यक्ति जहाँ गया था वहाँ से किसी दूसरे स्थान के लिए प्रस्थान कर गया है।
  9. ( 2 ) पिंगला नाड़ी - यह वह नाड़ी है जो इंगला के पूरक के रूप में नाक की दायी तरफ से आज्ञा-चक्र से होते हुये मूलाधार-चक्र तक जाती है तत्पश्चात् स्वाधिष्ठान , मणिपूरक , अनाहत् , विशुद्ध एवं आज्ञा-चक्र में आकर अपने प्रवेश के समय वाली पूर्वावस्था में मिल जाती है।
  10. एक जातक ज्योतिषी के पास आता है , अपना सवाल पूछता है, उसके आने के तरीके, बैठने के तरीके, सवाल पूछने के दौरान ज्योतिषी का स्वर (इडा या पिंगला नाड़ी का चलना), जातक का स्वर, आस पास के माहौल में घट रही घटनाएं और प्राकृतिक घटनाएं सवाल का जवाब देना शुरू कर देती हैं।
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