पाज़ेब meaning in Hindi
pronunciation: [ paajeeb ]
Examples
- हर सनमसाज़ ने पत्थर पे तराशा तुझको , पर वो पिघली हुई रफ्तार कहाँ से लाता , तेरे पैरों में तो पाज़ेब पिन्हा दी लेकिन , तेरी पाज़ेब की झनकार कहाँ से लाता ?
- कोई नेह नहीं कोई सेज नहीं कोई चाँदी की पाज़ेब नहीं बेकरार रात का चाँद नहीं कोई सपनों का सामान नहीं इन पत्तों की झनकार तले किस थाट-राग में हृदय घुले ऐ दोस्त क्या बताऊँ तुझे !
- लेकिन इस दर्द को मैंने आपकी आँखों में तब देखा था जब मैं पहली बार ससुराल से ८ दिनों बाद लौटी थी भारी-भारी पाज़ेब ने उँगलियों में बड़ी बिछिया से मेरे पावं खूब ज़ख़्मी हुए थे जिन्हें देख कर आप रो पड़े थे और उनपर मरहम लगाया था …… . .
- अब के फिर जाग के रातों की ख़नक देखी हैकितनी सुंदर है वो एहसास की मूरत की तरहजैसे पाज़ेब किसी ने कहीं छनकाई होजैसे मूरत कोई रस्ते पे निकल आई होजैसे गुलनाज़ कोई टब से नहा कर निकलेजैसे खुश्बू लिए बाद-ए-सबा आई होजैसे जंगल में कोई राग नया छेड़े होजैसे बदमस्त
- अब के फिर जाग के रातों की ख़नक देखी हैकितनी सुंदर है वो एहसास की मूरत की तरहजैसे पाज़ेब किसी ने कहीं छनकाई होजैसे मूरत कोई रस्ते पे निकल आई होजैसे गुलनाज़ कोई टब से नहा कर निकलेजैसे खुश्बू लिए बाद-ए-सबा आई होजैसे जंगल में कोई राग नया छेड़े होजैसे बदमस्त . ..
- उसी से सुनिए यह कम्पोज़ीशन : फिर सावन रुत की पवन चली, तुम याद आए फिर पत्तों की पाज़ेब बजी, तुम याद आए फ़िर कंजें बोलीं घास के हर समुन्दर में रुत आई पीले फूलों की, तुम याद आए फिर कागा बोला घर के सूने आंगन में फिर अमृत रस की बूंद पड़ी, तुम याद आए
- घुंघरू लगी चांदी की पाज़ेब , मीनाकारी से सजी बिछिया , सोने की अंगूठियां , कुंडल , लाल , सुनहरे और काले मोतियों की माला और कुंदन के कर्णफूल , वीज़ा कार्ड और पैन कार्ड , कपड़े और जूते ऐसी कुछ निशानियां हैं जिनसे अब उत्तराखंड में मृतकों की पहचान की जा रही है .
- कोई नेह नहीं कोई सेज नहीं कोई चाँदी की पाज़ेब नहीं बेकरार रात का चाँद नहीं कोई सपनों का सामान नहीं इन पत्तों की झनकार तले किस थाट-राग में हृदय घुले Wed , 11 Jun 2008 08:58:55 GMT http://hindi.webdunia.com/miscellaneous/literature/apnamanch/0806/11/1080611055_1.htm तुम मेरे पास हो... http://hindi.webdunia.com/miscellaneous/literature/apnamanch/0806/11/1080611054_1.htm तुम ख्याल बन मेरी अधजगी रातों में उतरे हो... मेरे मुस्काते लबों से लेकर...
- मुझे तो बस यह कहना है के नीरज की गज़लें जलते हुए चिराग की मानिंद हैं जो अपनी सोंधी सोंधी आंच से पाठकों के के दिल में उतर कर हरारत पैदा कर जातीं हैं और उसकी सोचें चांदनी की पाज़ेब पहन कर जब वीराने में पांव रखती हैं तो गुले गुलज़ार हो जाता है नीरज के नाम मेरा यह कहना है के तेरी बला को मैं अपनी बला समझता हूँ तू क्या समझता है तुझको में क्या समझता हूँ
- तभी किसी के नर्म हाथों ने मुझे छुआ मेरी मुस्कान कुछ और बढ़ जाती है आँखें खोली तो देखा एक सुंदर देवी पास बैठी मुस्कुरा रही है बालों से अब भी पानी की बूंदे लटकी हुई हैं माथे पर एक छोटी-सी बिंदिया है हाथ मेहंदी से रचे हैं होठों पर मुस्कान है पाँवों में झनकती चांदी की पाज़ेब है साड़ी का हरा रंग मेहंदी के रंग के साथ खूब खिल रहा है वह अंजुली में कुछ सुगंधित पुष्प मेरे लिये लायी है