पवमान meaning in Hindi
pronunciation: [ pevmaan ]
Examples
- पवमान महित्वना ” ( हे महान संकल्प वाले परमेश्वर , इस पृथ्वी और धूलोक दोनों को ही धारण करते हो ! किंचित अपने महात्म्य से जीवो की कुत्सित गति निकृष्ट जीवन को भी दूर करो ) - ६ / ६ / ३ / १ ९ हमारे उपनिषद समस्त वैदिक साहित्य के ज्ञान का सार है !
- रथ पर ले वरदान निकलना | सिर पर ओढ़ें पल्लू जैसे नीले -पीले फूल टहनियाँ , हल्दी -उबटन लेप लगाकर धूप - छुड़ाती रहे कुहनियाँ , कस्तूरी केसर की खुशबू साथ लिए पवमान निकलना | अबकी टेढ़ी और बदचलन राजनीति के ढंग बदलना , घर के सब खिड़की ,दरवाजे धूमिल परदे ,रंग बदलना , धरती पर है सघन कुहासा होकर के बलवान निकलना |
- सुस्वागतम मित्र ………… . ! विचारों और भावनाओं का ………………… .. है शब्द - शब्द में सूर्य तेज , पवमान जैसा विकराल वेग , हैं शांत जैसे जलधि का जल , जब उठे तो लहरों में हलचल , … जग - व्यथा दिखाते है जब - जब , फटने लगती हैं भूमि-अचल , जब वार कलम का करते हैं , कुछ अतुल-शब्द बन पड़ते हैं , …… . बहुत खूब ……………… !
- सुस्वागतम मित्र ………… . ! विचारों और भावनाओं का ………………… .. है शब्द - शब्द में सूर्य तेज , पवमान जैसा विकराल वेग , हैं शांत जैसे जलधि का जल , जब उठे तो लहरों में हलचल , … जग - व्यथा दिखाते है जब - जब , फटने लगती हैं भूमि-अचल , जब वार कलम का करते हैं , कुछ अतुल-शब्द बन पड़ते हैं , …… . बहुत खूब ……………… !
- ऋग्वेद का नौवां मंडल , जिसमें कुल मिलाकर 113 सूक्त सिर्फ सोम को लेकर ही लिखे गए हैं , सोम के बारे में जानकारी नहीं देंगे तो और क्या करेंगे ? मसलन एक मन्त्र ( 9.5 .4 ) कहता है कि सोम एक लता या एक घास जैसा है और काफी समय से देवताओं की बलप्राप्ति का साधन रहा है , बर्हि : प्रत्वीनमोजसा , पवमान : स्तृणान् हरि : देवेषु देव ईयते।
- ऋग्वेद का नौवां मंडल , जिसमें कुल मिलाकर 113 सूक्त सिर्फ सोम को लेकर ही लिखे गए हैं , सोम के बारे में जानकारी नहीं देंगे तो और क्या करेंगे ? मसलन एक मन्त्र ( 9.5 .4 ) कहता है कि सोम एक लता या एक घास जैसा है और काफी समय से देवताओं की बलप्राप्ति का साधन रहा है , बर्हि : प्रत्वीनमोजसा , पवमान : स्तृणान् हरि : देवेषु देव ईयते।
- रियाँ जब विभुमयी होकर दिशाओं में कुहक-सा पूरतीं नव चँवर लहराता चतुर्दिश घूमता पवमान चंचल मेघ-मालायें उढ़ायें बिजलियों से खचित आँचल , * ताप हरने के लिये भर-भर अँजलियाँ अर्घ्य का जल रजतवर्णी राशि हिम की कहीं,, मरुथल कहीं वनथल , सप्त द्वीप सुशोभिता, पयधार मय पर्वत अटल दृढ़ घाटियाँ ,मैदान, सर, सरिता, सहित गिरि-शृंखला धर , * खग-मृगों से सेविता ,गुँजित गगन रंजित दिशांगन , जन्म लेने जहाँ लालायित रंहे हरदम अमरगण .