निर्वाक meaning in Hindi
pronunciation: [ nirevaak ]
Examples
- जो लोग कला से कला की निरपेक्षता की मांग करते हुए एक अराजनैतिक कला की पक्षधरता की बात करते हैं वे दरअसल सामाजिक परिस्थितियों के परिपेक्ष में ही निर्वाक या तटस्थता की पैरवी करते हैं।
- जो लोग कला से कला की निरपेक्षता की मांग करते हुए एक अराजनैतिक कला की पक्षधरता की बात करते हैं वे दरअसल सामाजिक परिस्थितियों के परिपेक्ष में ही निर्वाक या तटस्थता की पैरवी करते हैं।
- वक्त की आवाज़ शहीदों के जिस्म पर लगेंगे कब तलक जख्म गहरे , कब तक बैठे रहेंगे निर्वाक लगाए सोच पर पेहरे, निर्दोश लहू आखिर कब तक शहीद कहलाएगा, पाक की सरजमीं पर तिरंगा कब लहराएगा !!
- वे कहते हैं : ‘ मर गया देश , अरे जीवित रह गये तुम ' , ‘ सब चुप , साहित्यिक चुप और कविजन निर्वाक … , ‘ बौद्धिक वर्ग है क्रीतदास / किराये के विचारों का उद्भास ' ।
- मगर मातृत्व के लिए इतना कष्ट , इतनी कड़ी परीक्षा सोचते- सोचते उसकी आँखों में से आँसुओं की धारा बह निकली और अपने जीवन के सारे रंगीन सपनों को टूटता- बिखरता देख अनमने भाव से निर्वाक होकर शून्य की तरफ देखने लगी .
- ये कुछ सूत्र हैं : ‘ वर्तमान समाज नहीं चल नहीं सकता ' , ‘ पूंजी से जुड़ा हृदय बदल नहीं सकता ' , ‘ देश मर गया , अरे जीवित रह गये तुम ' , ‘ सब चुप , साहित्यिक चुप , और कविजन निर्वाक … .
- ओ दीर्घकाय ! ओ पूरे झारखंड के अग्रज, तात, सखा, गुरु, आश्रय, त्राता महच्छाय, ओ व्याकुल मुखरित वन-ध्वनियों के वृन्दगान के मूर्त रूप, मैं तुझे सुनूँ, देखूँ, ध्याऊँ अनिमेष, स्तब्ध, संयत, संयुत, निर्वाक : कहाँ साहस पाऊँ छू सकूँ तुझे ! तेरी काया को छेद, बाँध कर रची गयी वीणा को
- आजकल हर सांझ जाने से पहले तुम , इतनी गहरी पीली जर्द क्यों हो उठती हो ? क्यॊं पेड़ों के मटमैले हरे झुरमुट से रिसकर पीछे दीवार के पर्दे पर पड़ते तुम्हारे निर्वाक व निमीलित बिम्ब इतने घने, प्रगल्भ व प्रगाढ़ पीत हो जाते हैं कि अनिमेष उन्हें देखते देखत
- धूप ! आजकल हर सांझ जाने से पहले तुम , इतनी गहरी पीली जर्द क्यों हो उठती हो ? क्यॊं पेड़ों के मटमैले हरे झुरमुट से रिसकर पीछे दीवार के पर्दे पर पड़ते तुम्हारे निर्वाक व निमीलित बिम्ब इतने घने, प्रगल्भ व प्रगाढ़ पीत हो जाते हैं कि अनिमेष उन्हें देखते देखत...
- अन्तराष्टीय महिला दिवस ‘ पर आपने इस विशेष आलेख के माध्यम से अपनी एक जोरदार आवाज महिला सशक्तिकरण के लिए उठाकर उसके अनेक अनछुए पहलुओं को उजागर किया है , एवं वृहद -रूप से अपने निर्वाक व् सटीक विचार प्रस्तुत किये है , जिसके लिए आप अतिशय प्रसंसा के पात्र हैं ..