निरभिमानी meaning in Hindi
pronunciation: [ nirebhimaani ]
Examples
- इसी अग्रलेख के अंतिम वाक्य से उनके निरभिमानी व्यक्तित्व व सोच का परिचय मिलता है , और कदाचित यही उनके संपादन की सबसे बड़ी शक्ति भी थी , ' प्रभु करे सेवा के इस पथ में मुझे अपने दोषों का पता रहे और आडंबर , अभिमान और आकर्षण मुझे पथ से भटका न पाए।
- गहन विचार करने पर मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि कही मेरे अहंकार को चूर्ण करने के लिये ही तो बाबा ने इस अस्त्र का प्रयोग नहीं किया है , ताकि मैं भविष्य में सदैव के लिए निरभिमानी एवं विनम्र हो जाऊँ, अथवा कहीं यह मेरे वाक्रचातुर्य के उपलक्ष में मेरी प्रशंसा तो नहीं है ।
- देखिये , जब कोई सभ्य मनुष्य विद्वानों की सभा में वा किसी के पास जाकर अपनी योग्यता के अनुसार नम्रतापूर्वक 'नमस्ते' आदि करके बैठ के दूसरे की बात ध्यान से सुन, उसका सिद्धान्त जान निरभिमानी होकर युक्त प्रत्युत्तर करता है, तब सज्जन लोग प्रसन्न होकर उसका सत्कार और जो अण्डबण्ड बकता है, उसका तिरस्कार करते हैं ।
- गहन विचार करने पर मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि कही मेरे अहंकार को चूर्ण करने के लिये ही तो बाबा ने इस अस्त्र का प्रयोग नहीं किया है , ताकि मैं भविष्य में सदैव के लिए निरभिमानी एवं विनम्र हो जाऊँ , अथवा कहीं यह मेरे वाक्रचातुर्य के उपलक्ष में मेरी प्रशंसा तो नहीं है ।
- देखिये , जब कोई सभ्य मनुष्य विद्वानों की सभा में वा किसी के पास जाकर अपनी योग्यता के अनुसार नम्रतापूर्वक ' नमस्ते ' आदि करके बैठ के दूसरे की बात ध्यान से सुन , उसका सिद्धान्त जान निरभिमानी होकर युक्त प्रत्युत्तर करता है , तब सज्जन लोग प्रसन्न होकर उसका सत्कार और जो अण्डबण्ड बकता है , उसका तिरस्कार करते हैं ।
- उनसे जब भी मिलना हुआ है एक निष्कपट , निश्छल , निर्विकार और निरभिमानी व्यक्ति से मिलने का संतोष प्राप्त हुआ है , उनको जब भी सुना है , एक अत्यंत संवदेना प्रवण , मन-प्राण का स्पर्श करने वाले गीतकार-कवि को सुनने का आनंद मिला है और उन्हें पढ़कर लगा है कि उनकी विद्वता आतंकित-आशंकित नहीं , अपितु मुग्ध और आश्वस्त करती है।
- पर ' हनुमान' तो किसी भी आकार को धारण न कर केवल 'ऊँ' कार को ही धारण करते हैं.जिसका अर्थ है वे हमेशा 'ऊं ' को ध्याते हैं, 'ऊं' का भजन करते हैं,'ऊं' का ही मनन करते हैं.हनुमान इतने निरभिमानी हैं कि वे परमात्मा के ध्यान में स्वयं को भी भूल जाते हैं.इसीलिए जाम्बवान (रीछ पति) को उनका आह्वाहन करते हुए कहना पड़ता है कहइ रीछपति
- गुरु महाराज ने इस शब्द का प्रयोग कई शब्दों में किया है जैसे कि शब्द 23 व 30 वें शब्द में “ निवीयेनवणी , खविए खवणी ” से अभिप्राय यदि इस संसार में नमन करने योग्य व्यक्ति से नमन करते हुए अर्थात निरभिमानी होते हुए क्षमा करने योग्यजगह पर क्षमाशील होते “ पवणा पाणी नवण करंतो ” परमपिता परमेश्वर सबमें स्वामी , पवनदेवता , जलदेवता चन्द्रदेवता आदि है।
- इसी अग्रलेख के अंतिम वाक्य से उनके निरभिमानी व्यक्तित्व व सोच का परिचय मिलता है , और कदाचित यही उनके संपादन की सबसे बड़ी शक्ति भी थी, 'प्रभु करे सेवा के इस पथ में मुझे अपने दोषों का पता रहे और आडंबर, अभिमान और आकर्षण मुझे पथ से भटका न पाए।' किसानों की दुर्दशा, उनका संगठित शक्ति के रूप में खड़े न होना और इस वजह से उनके कष्टों और समस्याओं की अनदेखी करना माखनलालजी को बेचैन करता था।
- इसी अग्रलेख के अंतिम वाक्य से उनके निरभिमानी व्यक्तित्व व सोच का परिचय मिलता है , और कदाचित यही उनके संपादन की सबसे बड़ी शक्ति भी थी, 'प्रभु करे सेवा के इस पथ में मुझे अपने दोषों का पता रहे और आडंबर, अभिमान और आकर्षण मुझे पथ से भटका न पाए।' किसानों की दुर्दशा, उनका संगठित शक्ति के रूप में खड़े न होना और इस वजह से उनके कष्टों और समस्याओं की अनदेखी करना माखनलालजी को बेचैन करता था।