धर्म-ग्रंथ meaning in Hindi
pronunciation: [ dherm-garenth ]
Examples
- वेदादि धर्म-ग्रंथ जो इतने माननीय हैं सो इसीलिए कि उनमें धर्म का उपदेश ऐसे शब् द समूहों में है जो चित् त को अपनी ओर खींच लेते हैं और ऐसा चित् त में गड़ के बैठ जाते हैं कि हटाए नहीं हटते।
- हमारे धर्म-ग्रंथ सत्ता में बैठे लोगों के लिए किस तरह मजाक बन गए हैं , इसका सबूत है सरबजीत के मामले के मुख्य गवाह शौकत सलीम की ये स्वीकारोक्ति कि, “सरकारी वकील ने मुझे बताया कि इस आदमी ने विस्फोट किए और वह दोषी है।
- हमारे धर्म-ग्रंथ सत्ता में बैठे लोगों के लिए किस तरह मजाक बन गए हैं , इसका सबूत है सरबजीत के मामले के मुख्य गवाह शौकत सलीम की ये स्वीकारोक्ति कि, “सरकारी वकील ने मुझे बताया कि इस आदमी ने विस्फोट किए और वह दोषी है।
- हमारे धर्म-ग्रंथ सत्ता में बैठे लोगों के लिए किस तरह मजाक बन गए हैं , इसका सबूत है सरबजीत के मामले के मुख्य गवाह शौकत सलीम की ये स्वीकारोक्ति कि , “ सरकारी वकील ने मुझे बताया कि इस आदमी ने विस्फोट किए और वह दोषी है।
- मर्यादा महोत्सव नया संदेश , नया संबोध , नया सवाल , नया लक्ष्य लेकर उपस्थित होता है , इस दिन हम स्वयं को स्वयं के द्वारा जानने की कोशिश इस संकल्प के साथ करते हैं कि ऐसा हम तीन सौ पैंसठ दिन करेंगे , यूं तो हमारे धर्म-ग्रंथ जीवन-मंत्रों से भरे पड़े हैं।
- विनम्रता से प्रश्न है , हिंसा का समर्थन या अहिंसा का ? क्या किसी भी नेक काम को करने से पहले , हमें धर्म-ग्रंथ में आज्ञा देखनी चाहिए ? या उसकी सीमा में रहकर ही नेक कार्य करने चाहिए ? क्या ईश्वर के मुख्य उद्देश्यरूप सिद्धांतो की सुरक्षा और अनुपालना हमें न करनी चाहिए ?
- हो सकता है यह ठीक हो परन्तु क्या इन धर्म-ग्रंथों के अनुयायी सैंकड़ों पीढ़ियों से इन धर्म-ग्रन्थों के लिये जान देकर इनकी आज्ञा ठीक से समझे नहीं और आपस में यों ही लड़ मरते रहे ? यदि यह धर्म-ग्रंथ सौ पीढ़ी तक मनुष्य की समझ में नहीं आये तो आज ही क्या जमानत है कि वर्धा के फरिश्ते ने उन्हें समझ लिया है ।
- हिंदूओं के प्राथमिक पवित्र धर्म-ग्रंथ वेदों में अपवित्र बातों के भरे होने का लांछन सदियों से लगाया जा रहा है | यदि इन आक्षेपों को सही मान लिया जाए तो सम्पूर्ण हिन्दू संस्कृति , परंपराएं, मान्यताएं सिवाय वहशीपन, जंगलीयत और क्रूरता के और कुछ नहीं रह जाएंगी | वेद पृथ्वी पर ज्ञान के प्रथम स्रोत होने के अतिरिक्त हिन्दू धर्म के मूलाधार भी हैं, जो मानव मात्र के कल्याणमय जीवन जीने के लिए मार्गदर्शक हैं |
- हिंदूओं के प्राथमिक पवित्र धर्म-ग्रंथ वेदों में अपवित्र बातों के भरे होने का लांछन सदियों से लगाया जा रहा है | यदि इन आक्षेपों को सही मान लिया जाए तो सम्पूर्ण हिन्दू संस्कृति , परंपराएं , मान्यताएं सिवाय वहशीपन , जंगलीयत और क्रूरता के और कुछ नहीं रह जाएंगी | वेद पृथ्वी पर ज्ञान के प्रथम स्रोत होने के अतिरिक्त हिन्दू धर्म के मूलाधार भी हैं , जो मानव मात्र के कल्याणमय जीवन जीने के लिए मार्गदर्शक हैं |