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त्रिकालज्ञ meaning in Hindi

pronunciation: [ terikaalejney ]
त्रिकालज्ञ meaning in English

Examples

  1. हमारे यहाँ पहले के ऋषि-मुनि को भूत , भविष्य , वर्तमान तीनों काल का ज्ञान था और वे त्रिकालज्ञ कहलाते थे , बल्कि भविष्य का ज्ञान उनके तपोबल या ऋषित्व का एक अंग था।
  2. वेद व्यास के विद्वान शिष्य पैल जैमिन वैशम्पायन सुमन्तुमुनि रोम हर्षण वेद व्यास का योगदान महर्षि व्यास त्रिकालज्ञ थे तथा उन्होंने दिव्य दृष्टि से देख कर जान लिया कि कलियुग में धर्म क्षीण हो जायेगा।
  3. सालासर में अंजनी माता का प्राकट्य जिला सीकर के ग्राम लक्ष्मणगढ़ के ज्योतिष शास्त्र के प्रकाण्ड विद्वान त्रिकालज्ञ पंडित जानकीप्रसाद पारीक अंजनीनन्दन के सिद्धपीठ में रहकर अंजनीनन्दन को रामायण , भागवत , पुराण आदि सुनाया करते थे।
  4. मानव की इस परिस्थिति को अवगत कर त्रिकालज्ञ और परहित में रत ऋषिमुनियों ने वेद , पुराण, स्मृति और समस्त निबंधग्रंथों को आत्मसात् कर मानव के कल्याण के हेतु सुख की प्राप्ति तथा दु:ख की निवृत्ति के लिए अनेक उपाय कहे हैं।
  5. ऋद्धि . सिद्धिदायक ज्योतिषीय रत्न डाॅ . बी . एल . शर्मा ऋषि-मुनियों ने अपने त्रिकालज्ञ ज्ञान के द्वारा रत्नों की राशियों के अनुसार उनकी उपयोगिता का अध्ययन किया , उनकी परीक्षा की और अपने ज्ञान का विवरण वेद-शास्त्रों में समाहित किया।
  6. मानव की इस परिस्थिति को अवगत कर त्रिकालज्ञ और परहित में रत ऋषिमुनियों ने वेद , पुराण , स्मृति और समस्त निबंधग्रंथों को आत्मसात् कर मानव के कल्याण के हेतु सुख की प्राप्ति तथा दु : ख की निवृत्ति के लिए अनेक उपाय कहे हैं।
  7. त्रिकालज्ञ बाबा ने यह सब जानकर कि यह अन्य गुरु का शिष्य है , उन्हें अभय-दान देकर उनके गुरु में ही उनके विश्वास को दृढ़ करते हुए कहा कि कैसे भी आओ, परन्तु भूलो नही, अपने ही स्तंभ को दृढ़तापूर्वक पकड़कर सदैव स्थिर हो उनसे अभिन्नता प्राप्त करो ।
  8. त्रिकालज्ञ बाबा ने यह सब जानकर कि यह अन्य गुरु का शिष्य है , उन्हें अभय-दान देकर उनके गुरु में ही उनके विश्वास को दृढ़ करते हुए कहा कि कैसे भी आओ , परन्तु भूलो नही , अपने ही स्तंभ को दृढ़तापूर्वक पकड़कर सदैव स्थिर हो उनसे अभिन्नता प्राप्त करो ।
  9. बड़ी सोचनीय स्थिति में फँस जाते हैं और कहते हैं . लंगोटा नंदजी महाराज ......... सिद्ध बाबा बालकनाथ त्रिकालज्ञ कल्याण हो ! आप आये मठ में हमारे , हमें भी हैरत है , कभी हम अपनी लंगोट देखते हैं , कभी आपको ...... ? श्री श्री बाबा शठाधीश जी महाराज .......
  10. पर्वतराज ने उनका बड़ा आदर किया और चरण धोकर उनको उत्तम आसन दिया , अपनी स्त्री मैना सहित मुनि के चरणों में सिर नवाया तथा पुत्री को बुलवाकर मुनि के चरणों पर डाल दिया तथा कहा - हे मुनिवर ! आप त्रिकालज्ञ और सर्वज्ञ हैं , अतः आप विचारकर कन्या के गुण-दोष कहिये।
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