छिपे-छिपे meaning in Hindi
pronunciation: [ chhipe-chhip ]
Examples
- बोलना , डोलना, भीड़, प्रशंसा, इलेक्ट्रानिक मीडिया की टी.आर.पी., अखबारों की सुर्ख़ियों में लगातार छपता आपका नाम एक स्तर के बाद आपको वियोगी बना देते है और आप आप अपनी ही व्यक्तित्व से डरे-सहमे, दबे-कुचले, छिपे-छिपे फिरते हुए कहते है, यार कोई देख ना ले, कोई सुन ना ले, अरे भई कहीं कोई छाप ना दे.
- मगर जब शेरसिंह ने उस तिलिस्मी तहखाने में जाकर डेरा डाला 1 और छिपे-छिपे कमला और कामिनी की मदद करने लगा तो उन्हीं दिनों उस तिलिस्मी तहखाने में जाकर भूतनाथ ने शेरसिंह से एक तौर पर ( बहुत दिनों तक गायब रहने के बाद ) नई मुलाकात की , मगर धर्मात्मा शेरसिंह को यह बात बहुत बुरी मालूम हु ई. .. ।
- पाठक समझते होंगे कि इस काली औरत या इंद्रजीतसिंह ने जो कुछ किया या कहा-सुना किसी को मालूम नहीं हुआ , मगर नहीं , वह भेद उसी वक्त खुल गया और काली औरत के काम में बाधा डालने वाला भी कोई पैदा हो गया बल्कि उसने उसी वक्त से छिपे-छिपे अपनी कार्रवाई भी शुरू कर दी जिसका हाल माधवी को मालूम न हो सका।
- या तन जहाम विरुद्ध प्रकृति के विवश किया जाता है सुख पाने को , क्षुधा नहीं केवल मन की लिप्सा से; जहाँ नहीं मिलते नर-नारी उस सहजाकर्षण से जैसे दो वीचियाँ अनामंत्रित आ मिल जाती हैं, पर, सुवर्ण की लोलुपता में छिपे-छिपे तस्कर से एक दूसरे का आकुल सन्धान किया करते हैं तन का क्या अपराध? यंत्र वह तो सुकुमार प्रकृति का; सीमित उसकी शक्ति और सीमित आवश्यकता है.
- वह बहुत ही धीरे-धीरे , अपने जी से भी छिपे-छिपे , कहने लगी , कामिनीमोहन , तुम क्यों इतने सुन्दर हो ? अब वह बहुत अनमनी हो गयी , जी न होने पर भी कहने लगी-कामिनीमोहन , क्या तुम सचमुच मेरे लिए मरने पर उतारू हो ? क्या सचमुच मेरे बिना तुम्हारा दिन कटता है तो रात नहीं , और रात कटती है तो दिन नहीं ? क्या सचमुच मेरे लिए तड़पते हो , और आँसू बहाते हो ? ये कैसी बातें हैं , मैं समझ नहीं सकती हूँ।
- काम-कृत्य वे सभी दुष्ट हैं , जिनके सम्पादन में मन-आत्माएँ नहीं , मात्र दो वपुस् मिला करते हैं ; या तन जहाम विरुद्ध प्रकृति के विवश किया जाता है सुख पाने को , क्षुधा नहीं केवल मन की लिप्सा से ; जहाँ नहीं मिलते नर-नारी उस सहजाकर्षण से जैसे दो वीचियाँ अनामंत्रित आ मिल जाती हैं , पर , सुवर्ण की लोलुपता में छिपे-छिपे तस्कर से एक दूसरे का आकुल सन्धान किया करते हैं तन का क्या अपराध ? यंत्र वह तो सुकुमार प्रकृति का ; सीमित उसकी शक्ति और सीमित आवश्यकता है .
- सभी चोर अलग कोनों में छिपे बुढ़िया की बातें सुन रहे थे और घबरा रहे थे कि वे कहीं पकड़े न जाएं | युवक , जो नया चोर था और पहली बार चोरी करने निकला था , इत्तेफाक से ऊपर छत के किनारे छिपा बैठा था | रमीना की बात सुन कर उसे यूं लगा कि बुढ़िया ने उसे देख लिया है तभी कह रही है कि ऊपर वाला जाने | वह ऊपर छिपे-छिपे ही जोर से बोला - “ मैं क्या जानूं , यह तो बाथरूम वाला जाने कि क्या हुआ | ”