चन्द्रकिरण meaning in Hindi
pronunciation: [ chenderkiren ]
Examples
- सुरमई शाम चुपके से सुरमई हो गयी है शाम रात ने सर रख दिया है काँधे पर तारों ने बो दिये हैं चन्द्रकिरण से मनके वीराने में धवल , चमकीली चाँद की निबोली अटकी हुई है नीम की टहनी पर नीचे गिरी तो बाजूबंद सी खुल जाएगी सुरमई शाम अनुपम और प्रगति के अनुराग में ढल जाएगी।
- सुरमई शाम चुपके से सुरमई हो गयी है शाम रात ने सर रख दिया है काँधे पर तारों ने बो दिये हैं चन्द्रकिरण से मनके वीराने में धवल , चमकीली चाँद की निबोली अटकी हुई है नीम की टहनी पर नीचे गिरी तो बाजूबंद सी खुल जाएगी सुरमई शाम अनुपम और प्रगति के अनुराग में ढल जाएगी।
- बेशक आज समय बदल चुका है पर हिन्दी प्रदेश के उन पिंजरों में , जहां आज भी चन्द्रकिरण सौनरेक्सा जैसी औरतें हैं और वही सब कुछ झेल रही हैं जो पचास साल पहले की कामकाजी औरत ने झेला , अपने समय की एक महत्वपूर्ण लेखिका का बेबाक और पारदर्शी बयान बहुतों के लिए ताकत का सबब बनेगा ।
- _______________ सुरमई शाम चुपके से सुरमई हो गयी थी शाम रात ने सर रख दिया था काँधे पर तारों ने बो दिये थे चन्द्रकिरण से मनके वीराने में धवल , चमकीली चाँद की निबोली अटकी रही थी नीम की टहनी पर नीचे गिरी तॊ बाजूबंद सी खुल गई सुरमई शाम रात के काँधे पर सर रख कर सो गई ।
- इस पीढ़ी के उन लेखकों में जिन्होंने कहानी के स्वरूप का वास्तव में परिमार्जन और परिष्कार किया है और उसे जीवन की भूमि के अधिक निकट ला दिया है , हम चन्द्रकिरण सौनरिक्सा , भीष्म साहनी , धर्मवीर भारती , राजेन्द्र यादव , मोहन चोपड़ा , कमल जोशी , कमलेश्वर , मार्कण्डेय और अमरकान्त आदि का उल्लेख कर सकते हैं।
- गुजरे वो सब दिन जब सोने सा रंग हमारा था , हिरणी सी थी चाल , मृगनयनी नाम हमारा था , बादल से थे बाल , चन्द्रकिरण सा रूप हमारा था , मुट्ठी में थी किस्मत , सारा संसार हमारा था , नन्हें पैरों की आहट , बच्चों की किलकारी से गूँजता घर हमारा था , पीपल के खनकते पत्तों , घण्टियों की गूँज सा हास्य हमारा था।
- गुजरे वो सब दिन जब सोने सा रंग हमारा था , हिरणी सी थी चाल , मृगनयनी नाम हमारा था , बादल से थे बाल , चन्द्रकिरण सा रूप हमारा था , मुट्ठी में थी किस्मत , सारा संसार हमारा था , नन्हें पैरों की आहट , बच्चों की किलकारी से गूँजता घर हमारा था , पीपल के खनकते पत्तों , घण्टियों की गूँज सा हास्य हमारा था।
- एक बार था चन्द्र खिला , पर रूठी हुई चन्द्रिका बैठी बार बार पूछा चंदा ने , पर वह तो बस दूर खड़ी थी | मगर तभी एक बादल गरजा , बिजली ने भी क्रोध दिखाया और डरी वह चन्द्रकिरण खुद ही जा लिपटी निज प्रियतम से || स्नेह बढ़ा और साँस रुक गई , तिमिर खिला और ज्योति बिक गई लो ऐसे ही और एक दीपक यह आज तमाम हो गया || ३ ||
- तो ये जो बड़ी-बड़ी बातें स्त्री को ग्लोरीफाई करने के लिए की गई , तो स्त्री-लेखन के माध्यम से चाहे उस समय चन्द्रकिरण सौनरेक्सा की कहानी हो , कौशल्यादेवी अश्क की कहानियाँ हों , शिवरानी देवी की कहानियाँ हों , आप पायेंगे कि उन्होंने अपने शील-संकोचों के तहत वो बातें कहीं , लेकिन मन्नू भंडारी , उषा प्रियंवदा , कृष्णा सोबती इन लोगों का लेखन जब सामने आता है , तो परिवर्तन लक्षित होता है।
- ये नाम हैं- महादेवी वर्मा , सुभद्रा कुमारी चौहान , चन्द्रकिरण सोनरेक्सा , उषा देवी मित्र , अमृता प्रीतम , कृष्णा सोबती , शिवानी , आशापूर्णा देवी , उषा प्रियम्वदा , प्रभा खेतान , मन्नू भंडारी , शशिप्रभा शास्त्री , महाश्वेता देवी , कृष्णा अग्निहोत्री , सूर्यबाला , मृदुला गर्ग , चित्रा मुद्गल , ममता कालिया , मैत्रेयी पुष्पा , मेहरुन्निसा परवेज़ , मालती जोशी , राजी सेठ , ऋता शुक्ल , चंद्रकांता , मृणाल पाण्डेय।