गर्वपूर्वक meaning in Hindi
pronunciation: [ garevpurevk ]
Examples
- तू भी एक चीथड़े से अपने तन की लज्जा को ढक ले और गर्वपूर्वक उच्च स्वर से उद्घोष कर , प्रत्येक भारतवासी मेरा भाई है , भारतवासी मेरे प्राण हैं , भारत के देवी देवता मेरे ईश्वर हैं।
- यह कैसा आश्चर्य है की पंथ निरपेक्षता ( मुस्लिम प्रेम ) की अलअम्बरदार कांग्रेस के द्वारा भी आखिर यह गर्वपूर्वक क्यों नहीं बतलाया जाता की फिरोज गाँधी एक पारसी युवक नहीं अपितु एक मुस्लिम पिता के पुत्र थे।
- हालांकि ईरान के राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद ने सोमवार को गर्वपूर्वक यह घोषणा की कि ईरान ने औद्योगिक पैमाने पर संवर्द्धित यूरेनियम पैदा करने की क्षमता हासिल कर ली है , लेकिन विशेषज्ञों को ईरान के इस दावे पर संदेह है।
- स्वयं अनेक मुस्लिम लेखकों की पुस्तकों के पृष्ठ उद्घृत किये जा चुके हैं , जिसमें गर्वपूर्वक उल्लेख किया गया है कि बाबर ने या उसके कहने पर किसी और ने वहां स्थित मंदिर को ध्वस्त करके मस्जिद का निर्माण कराया।
- इतने में वानर सेना में अभूतपूर्व मारकाट मचाता हुआ अतिकाय रामचन्द्र जी के पास अपना रथ दौड़ाता आ पहुँचा और उनसे क्रोध तथा गर्वपूर्वक बोला , “हे तुच्छ मनुष्यों! तुम दोनों भाई मेरे हाथों से क्यों इन बेचारे वानरों का नाश कराते हो?
- हम गर्वपूर्वक कहते हैं कि अपने परिवार को क्रान्ति की आंच से सुरक्षित रखने वाले भारत के बहुतेरे कम्युनिस्टों के विपरीत हमने अपने स्वजनों , परिजनों , संबंधियों , घनिष्ठ मित्रों को क्रान्तिकारी कामों से जोड़ा है या उनसे रिश्ते तय कर लिए हैं।
- इसलिए पाप के उस बोझ को वे अपने सिर पर क्यों ढोयें ? यदि इस्लामी उपासना पद्धति से उनकी आध्यात्मिक भूख तृप्त होती है तो वे पूरी श्रद्धा के साथ उसका पालन करते हुए भी अपने देश की समान ऐतिहासिक परम्परा को गर्वपूर्वक शिरोधार्य करें।
- हिन्दी भाषियों के या हिन्दी पत्रकारों के गौरव की बाहरी देशों में बढ़ाने वालों के नामों में मुझे गर्वपूर्वक एक तो सहृदय वण्डित बनारसीदास चतुर्वेदी का नाम लेना चाहिए दूसका नाम हिन्दी उत्साही और कर्मशील संपादक डरबन निवासी श्रीयुत भवानी दयाल का उल्लेख करना चाहिए।
- एक दिन उनकी चर्चा चलने पर मैंने गर्वपूर्वक कहा , '' नंदन जी ने उसी इंटर कॉलेज से हाई स्कूल किया , जिससे मैंने और उनका गांव मेरे गांव से तीन मील के फासले पर है ।” यह बात 1982 या 1983 की है ।
- वही रावण जब श्रीरामचंद्रजी की पत्नी सीताजी को चुराकर ले जाता है और लड़ाई के मैदान में उनसे लड़ने के लिये गर्वपूर्वक आता है , तब भगवान् श्रीराम के धनुष की टंकार से ही उसका वह घमंड प्राणों के साथ तत्क्षण विलीन हो जाता है।