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इजारा meaning in Hindi

pronunciation: [ ijaaraa ]
इजारा meaning in English

Examples

  1. काम उसका ठीक-ठीक ही था , पर चूंकि मोहल्ले में उसका एक प्रकार से इजारा था और वह दिन का भोजन भी वहीं से पाती थी , इसलिए वह कभी नागा नहीं करती थी।
  2. २ ०० ९ में अडवाणी का प्रधान मंत्री बनना तो दूर , २ ० १ ४ में प्रधानमंत्री पद को मोदी के नाम इजारा और बये करने की होड़ में आपस में हीं जुट गए .
  3. जो सनातनी धर्म का इजारा लेकर बैठ गये हैं , उनसे मैं कहना चाहता हूं कि जिन शास्त्रों को वे मानते हैं , मैं भी उन्हीं को मानता हूं , परन्तु हमारा मतभेद तो शास्त्रों का अर्थ लगाने में है।
  4. नए ' शिल्प-सौंदर्य ' , ' कथन-वैचित्र्य ' आदि का इजारा न नई पीढ़ी के लेखकों के पास है और न पुरानी पीढ़ी के लेखकों के पास , न मानववादी दृष्टिकोण वालों के पास है और न मानवद्रोही दृष्टिकोण वालों के पास।
  5. यह भी एक चमत्कारिक बात है कि ईस्ट इंडिया कंपनी ब्रिटिश सरकार की प्रतिनिधि नहीं थी , उसे भारत और चीन में व्यापार करने का ही इजारा मिला था, किन्तु इस कंपनी ने अपने निजी धन-जन से भारत के भागों को हथियाना शुरू कर दिया।
  6. रामविलास जी ने “ संपत्तिशास्त्र ” का 1857 के संग्राम से सम्बन्ध जोड़ते हुए ठीक ही लिखा है कि अंग्रेजों ने भारत की जनता की सबसे बड़ी सम्पत्ति , उसकी ज़मीन पर इजारा कायम कर उससे उसकी आजीविका का स्रोत्र ही छीन लिया है .
  7. ग़ालिब तिरा अह्वाल सुना देंगे हम उन को वह सुन के बुला लें यह इजारा नहीं कर्ते रह्ये अब ऐसी जगह चल कर जहां कोई न हो रह्ये अब ऐसी जगह चल कर जहां कोई न हो हम-सुख़न कोई न हो और हम-ज़बां कोई न हो
  8. जो लोग वही और नबुव्वत की तंज़ीम को गुज़िश्ता बयान के मुताबिक़ तौजीह करते हैं वह ऐसे दानिशवर हैं जो माद्दी और तबीईयाती उलूम के साथ दिलचस्बी और मुहब्बत रखते हुए जहाने हस्ती की हर एक चीज़को फ़ितरी और क़ुदरती क़वानीन की इजारा दारी में ख़्याल करते हैं और आख़िरी गिरोहे हवादिस की बुनियाद को भी फ़ितरी फ़र्ज़ करता है।
  9. इतने में ही बाहर की तरफ से आवाज आई , '' इसमें भी क्या किसी का इजारा है ये अपनी चीज की खबरदारी करती है किसी दूसरे की जमा नहीं छीनती ! बहुत दिनों के बाद जो खोई चीज मिलती है उसके लिए अकारण पुनः खो जाने का खटका बना ही रहता है इसलिए अगर इन्होंने पूछा तो बुरा ही क्या किया ! ''
  10. ( (( मक़सद यह है के परवरदिगार ने जिस अज्र व सवाब का वादा किया है और जिसका इन्सान इस्तेहक़ाक़ पैदा कर लेता है वह किसी न किसी अमल ही पर पैदा होता है और मर्ज़ कोई अमल नहीं है , लेकिन इसके अलावा फ़ज़्ल व करम का दरवाज़ा खुला हुआ है और वह किसी भी वक़्त और किसी भी ‘ ाख़्स के ‘ ाामिले हाल किया जा सकता है , इसमें किसी का कोई इजारा नहीं है।
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