आरंभ काल meaning in Hindi
pronunciation: [ aarenbh kaal ]
Examples
- ये नाटक भी खुले में , मैदानों, और चौराहों और बाज़ारों में ही मंचित किए जाते थे और दिन की रोशनी में ही, जबकि हमारे यहां नाटक लगभग अपने आरंभ काल से ही ज़्यादातर रात में ही खेले जाते थे।
- साबरमती आश्रम गांधी जी के नेतृत्व के आरंभ काल से ही संबंधित है , अत : गांधी-स्मारक-निधि नामक संगठन ने यह निर्णय किया कि आश्रम के उन भवनों को , जो गांधी जी से संबंधित थे , सुरक्षित रखा जाए।
- सातवीं सदी के आरंभ काल में इस क्षेत्र में पश्चिमोत्तर दिशा से भाटी जाति का आगमन प्रांरभ हुआ एवं इस जाति ने स्थानीय जातियों से संघर्ष कर धीरे-धीरे समूचे क्षेत्र को अपने अधिकार में करके भाटी राज्य की स्थापना की।
- ये नाटक भी खुले में , मैदानों , और चौराहों और बाज़ारों में ही मंचित किए जाते थे और दिन की रोशनी में ही , जबकि हमारे यहां नाटक लगभग अपने आरंभ काल से ही ज़्यादातर रात में ही खेले जाते थे।
- अगर हमारे यहां ज्ञान का सूरज आरंभ काल से ही चमकता रहता तो क्या कोई ऐसे छोटे दीपक जलाने की सोच सकता था ? कदापि नहीं , क्योंकि तब हमारे मनीषी नहीं जान पाते त्याग क्या होता है क्योकि सभी त्यागी होते।
- ( नालन्दा के कूण्डलपुर में अवतरित होल इन्द्रभूति गौतम गोत्र के ब्राह्मण हलन, इ कारण इनका इन्द्रभूति गौतम कहल गेल हे जे आरंभ काल से ही उच्च कोटि के सादक हलन आउ जिनकर साधना में महावीर स्वामी के साथ मिले से खूबे निजार आयल ।)
- यह चयन पंतजी के अंतिम दौर की कविताओं के इर्द-गिर्द ही नहीं घूमता , जो काल की दृष्टि से हमारे अधिक निकट है , बल्कि उनके बिलकुल आरंभ काल की कविताओं से लेकर अंतिम दौर तक की कविताओं के विस्तार को समेटने की चेष्टा करता है।
- अभी वह २० वर्ष के भी नहीं हुए थे कि उन्होंने अपना पहला दीवान ( काव्य संग्रह) तुहफतुसिग्र (छोटी उम्र का तोहफ़ा, ६७१ हिज्री सन १२७१, १६-१९ वर्ष) (जवानी के आरंभ काल में रचित यह दीवान फ़ारसी के प्रसिद्ध कवि अनवरी, खाकानी, सनाई आदि उस्तादों से प्रभावित है।
- अभी वह २० वर्ष के भी नहीं हुए थे कि उन्होंने अपना पहला दीवान ( काव्य संग्रह) तुहफतुसिग्र (छोटी उम्र का तोहफ़ा, ६७१ हिज्री सन १२७१, १६-१९ वर्ष) (जवानी के आरंभ काल में रचित यह दीवान फ़ारसी के प्रसिद्ध कवि अनवरी, खाकानी, सनाई आदि उस्तादों से प्रभावित है।
- स्त्री की गरिमा को सम्मान दिया हिंदी ने हिंदी को इस बात का गौरव है कि प्रसाद ने इस भाषा के आरंभ काल में ही स्त्री की शक्ति , सामर्थ्य और आंतरिक सौंदर्य का रूप अंकित किया , वैसा गरिमापूर्ण रूप संसार के साहित्य में नहीं मिलता।