आकाश-गंगा meaning in Hindi
pronunciation: [ aakaash-ganegaaa ]
Examples
- अभी तक केपलर ने 1 , 235 प्रतिनिधि ग्रह पाए हैं। इनमें से 54 गोल्डीलॉक्स जोन में हैं, जहां जीवन संभव हो सकता है। केपलर का मुख्य मिशन किसी अकेली दुनिया के परीक्षण के लिए नहीं है बल्कि खगोलशास्त्रियों को यह समझ प्रदान करने के लिए भी है कि कितने ग्रह हमारे आकाश-गंगा में हो सकते हैं।
- और तुम इसी तरह लेटे रहना गुरबचनसिंह , हवलदारसिंह , शेरसिंह ! तुम मशीनगन के साए में जमीन पर लेटे हो , लेकिन जब तुम उठोगे तो जमीन का हिस्सा जहां तुम लेटे थे आकाश-गंगा बनकर चमकता होगा और यह धरती की आकाश गंगा होगी और यह धरती का सबसे ऊंचा स्वर्ग होगा और धरती की स्वर्ग की सीढ़ी होगी।
- मेरा हृदय उमड़ आता है ; पर उसमें अनुरक्ति नहीं होती , उस रूप-सागर के मध्य में खड़ा होकर भी मैं अपनी सुदूरता का ही अनुभव करता हूँ , मानो आकाश-गंगा का ध्यान कर रहा होऊँ ! जिस सृष्टि से मैं अलग हो गया हूँ , उसकी कामना मैं नहीं करता , उसमें भाग लेने की लालसा हृदय में नहीं होती।
- धरती-धरती भर पीड़ा ले कर न जाने कितने सौर-मंडल समाये हैं हमारी अपनी आकाश-गंगा में . ऐसी असंख्य आकाश-गंगाओं की पीडाओं से कितनी बौनी है तेरी पीड़ा , चल उठ , अब कितने आंसू और बहायेगा अपनी बौनी पीड़ा पर ! सबकी पीड़ा गले लगा ले , कुछ प्रश्नों के उत्तर दे ले फिर देख इस अनंत ब्रह्माण्ड में तेरा बौना अस्तित्व कितना महत्त्वपूर्ण है .
- यह तो बाद में ही समझ पाए कि गोल , अथवा अंडाकार , सीमा रेखा के भीतर खेले जाना वाला यह खेल हमारी आकाश-गंगा का प्रतिरूप भी हो सकता है : हमारी ' मिल्की वे गैलेक्सी ' एक थाली के समान है , जो किनारे में पतली और बीच में मोटी , यानी गहरी है ( खेल के सीढ़ीनुमा अंडाकार स्टेडियम के कुछ-कुछ समान समझी जा सकती है )
- ऐसी ही एक और कविता है - वैसी ही अँधेरी रात है वो ही मैं हू ँ मन के एक कोने में बार-बार करवट बदल रहा है तुम्हारा ख़्या ल मैं पहली बार सोच रहा हू ँ रोशनी से झिलमिताली हुई आकाश-गंगा के बारे मे ं तुमने ठहरे हुए पानी पर यूँ ही मार दिया है कंकड मैं जल-तरंगों सा फैलता जा रहा हूँ हर दिशा में कि देखूँ कहाँ-कहाँ है ज़िंदग ी तुमसे प्यार करके मैंने सीखा है ज़िंदगी से प्यार करना .
- ऐसी ही एक और कविता है - वैसी ही अँधेरी रात है वो ही मैं हू ँ मन के एक कोने में बार-बार करवट बदल रहा है तुम्हारा ख़्या ल मैं पहली बार सोच रहा हू ँ रोशनी से झिलमिताली हुई आकाश-गंगा के बारे मे ं तुमने ठहरे हुए पानी पर यूँ ही मार दिया है कंकड मैं जल-तरंगों सा फैलता जा रहा हूँ हर दिशा में कि देखूँ कहाँ-कहाँ है ज़िंदग ी तुमसे प्यार करके मैंने सीखा है ज़िंदगी से प्यार करना .