आंगिक अभिनय meaning in Hindi
pronunciation: [ aanegaik abhiney ]
Examples
- फ्रांस का साहित्यकार जहाँ बातचीत में सदैव दूसरे को चमत्कृत करने , प्रभाव डालने , वाचिक और आंगिक अभिनय द्वारा मुग्ध और अभिभूत करने में यत्नशील रहता है , स्वीडन का लेखक वहाँ ग्रहण करने , चुपचाप बैठकर या सागर-तट अथवा वन-खंडी में घूमते हुए चिंतन करने का अभ्यासी है।
- विशेषत : भरत के अनुसार आंगिक अभिनय की पद्धतियों का प्रयोग इब्राहिम अलकाजी , ब.व.क ारंत , गोवर्धन पांचाल , वेंकटराम राघवन , विजय मेहता , हबीब तनवीर , कावलम नारायण पणिक्कर , कमलेशदत्त त्रिपाठी , राधावल्लभ त्रिपाठी , राजेन्द्र मिश्र , शेखर वैष्णवी , सूर्यमोहन कुलश्रेष्ठ जैसे कुछ रंगकर्मियों और संस्कृतज्ञों ने किया है और आज भी कर रहे हैं।
- मेरा अनुमान है कि भारत में भी ऐसा ही परंपरागत अंतर रहा- ' नट् ' अथवा ' अट् ' धातु से बने हुए विभिन्न नाम कदाचित् इस भेद को सूचित करते हैं कि कुछ नृत्य अभिनयप्रधान थे और वाचिक तथा आंगिक अभिनय के द्वारा किसी पद की व्याख्या करते थे ; जबकि कुछ दूसरे नृत्य , गीत के साथ होने पर भी , सहज आनंदाभिव्यक्ति के नृत्य होते थे।
- हमारे लिए आकर्षण - इन्द्रिय सुख की कामना का पर्याय ! हाव - आंगिक अभिनय का अभ्यासगत स्वरूप, नाट्य-शालाओं में प्रवेश प्राप्त कर सहज ही ग्राह्य! प्रेमालाप - कृत्रिम चमत्कारपूर्ण वाणी-विलास ! मिलन - मात्रा स्थूल इन्द्रिय सुख के निमित्त ! स्मृति - ढोंग का दूसरा नाम या अभाव की पीड़ा ! प्रेम - भ्रम / धोखा अस्तित्वहीन ‘ढाई आखर' का शब्द-मात्र ! स्वाँग महेंद्र भटनागर मुझे कृत्रिम मुसकराहट से चिढ़ है !
- अपने गुरु की उपस्थिति में बड़ी दर्दनाक शरीर मॉलिश जैसी प्रक्रिया के साथ ही वे हमारे देश के पौराणिक माहाकाव्य रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथों से पात्र चुनकर अभिनय सीखते हैं . इसमें कथानक और आंगिक अभिनय में आँखों के प्रभाव को देखते हुए भगवान् के घर कहलाने वाली जमीन केरल के इस शास्त्रीय नृत्य को नृत्य नाटिका और आँखों का नृत्य भी कहा जाने लगा है .इस विरासत को ये नई पीढी संभाल कर रखे यही उनका असल दायित्व होगा।
- कलामंडलम लीलाम्ना ने एक घंटे तक की अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति में सभी को अभिभूत कर दिया . प्राचार्य ग्रुप केप्टन डी.सी.सिकरोडिया,रजिस्ट्रार मेजर अजय ढील के साथ ही स्पिक मैके संभागीय समन्वयक जे.पी.भटनागर ने दीप प्रज्ज्वलित कर कलाकार मंडली का माल्यार्पण किया.अपने शुरुआती भाग में लीलाम्ना ने आंगिक अभिनय का परिचय देते हुए नृत्य की आवश्यक मुद्राओं के बारे में बताया.गणेश वंदना से शुरू मुख्य प्रस्तुति में राग मालिका और आदि ताल की बंदीश के बीच गायक कलामंडलम रजीश की खरज़दार आवाज़ बहुत सराही गयी.