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अहसानफरामोश meaning in Hindi

pronunciation: [ ahesaanefraamosh ]
अहसानफरामोश meaning in English

Examples

  1. जो अपनी अपंगता की वजह से दुम हिलाते रहते है और झुंड बना लेते है वे वफादार कुत्ते कहलाते हैं , जो आत्मनिर्भर व ' नोच-खसोट ' सहन नही करते उन्हे ' अहसानफरामोश ' बिल्लियाँ कहा जाता है।
  2. जो अपनी अपंगता की वजह से दुम हिलाते रहते है और झुंड बना लेते है वे वफादार कुत्ते कहलाते हैं , जो आत्मनिर्भर व ' नोच-खसोट ' सहन नही करते उन्हे ' अहसानफरामोश ' बिल्लियाँ कहा जाता है।
  3. इन दोनो पशुओं की यही पृवत्ति घरेलू माहौल मे इंसानों के प्रति भी रहती है और कुत्तो की इस बेबसी को हम वफादारी मान लेते हैं , और बिल्लियों की 'अत्मनिर्भरता' को हम 'अहसानफरामोश' की संज्ञा दे देते हैं।
  4. मैंने तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि कि ये लोग इतने अहसानफरामोश हो सकते हैं कि एक ही झटके में बरसों की दोस्ती को यूं ठोकर मार देंगे ' ' भ्रष् टाचार ने अपना दुख सुना डाला .
  5. उस समय तो मैं नासमझ भी उनके उकसावे का शिकार बना था … आज खयाल आता है कि गुस्सा लोगों को अहसानफरामोश भी बनाता है , जिस धर्म ने हिंदुत्व की रक्षा के लिए शताब्दियांे तक विधर्मियों से युद्ध किया .
  6. इन दोनो पशुओं की यही पृवत्ति घरेलू माहौल मे इंसानों के प्रति भी रहती है और कुत्तो की इस बेबसी को हम वफादारी मान लेते हैं , और बिल्लियों की ' अत्मनिर्भरता ' को हम ' अहसानफरामोश ' की संज्ञा दे देते हैं।
  7. इन दोनो पशुओं की यही पृवत्ति घरेलू माहौल मे इंसानों के प्रति भी रहती है और कुत्तो की इस बेबसी को हम वफादारी मान लेते हैं , और बिल्लियों की ' अत्मनिर्भरता ' को हम ' अहसानफरामोश ' की संज्ञा दे देते हैं।
  8. बड़ी मुश्किल से दबे दबे ही वह केवल इतना पूछ पाया - ' ' अहसानफरामोश पेड़ तुझे पिछले कितने ही सालों से सुबह शाम पानी से सींचता रहा और तूने मुझे ही दबा डाला . '' उसे लगा जैसे पेड़ भी जवाब दे रहा है - '' मूर्ख ! अहसानफरामोश मैं नहीं तू है .
  9. बड़ी मुश्किल से दबे दबे ही वह केवल इतना पूछ पाया - ' ' अहसानफरामोश पेड़ तुझे पिछले कितने ही सालों से सुबह शाम पानी से सींचता रहा और तूने मुझे ही दबा डाला . '' उसे लगा जैसे पेड़ भी जवाब दे रहा है - '' मूर्ख ! अहसानफरामोश मैं नहीं तू है .
  10. बड़ी मुश्किल से दबे दबे ही वह केवल इतना पूछ पाया - ' ' अहसानफरामोश पेड़ तुझे पिछले कितने ही सालों से सुबह शाम पानी से सींचता रहा और तूने मुझे ही दबा डाला . '' उसे लगा जैसे पेड़ भी जवाब दे रहा है - '' मूर्ख ! अहसानफरामोश मैं नहीं तू है .
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