अर्द्धचेतन meaning in Hindi
pronunciation: [ areddhecheten ]
Examples
- हमारा मन ( संस्कृत में मनस ) शरीर का वह भाग है जिसमें हमारे विचार उत्पन्न होते है , विज्ञान हमारे मन कि तीन अवस्थायें ( चेतन , अर्द्धचेतन , अचेतन ) बताता है ।
- किसी समय जब मैं अर्द्धचेतन या अर्द्धसुप्त अवस्था में लेटा रहता हूं , तो मुझे बोध होता है जैसे शब्दों का प्रवाह मेरे मानस में से गुजर रहा है - उनका कोई अर्थ नहीं है , पर उनमें ध्वनि है।
- भावों के उतार-चढ़ाव में उसकी मुद्रा कभी गम्भीर , कभी क्रोध से विकराल और कभी घृणा से परिपूर्ण हो जाती थी : मस्तिष्क के अचेतन कक्ष से एक-एक कर उसकी स्मृतियाँ अर्द्धचेतन कक्ष के मार्ग में से होकर चेतन कक्ष में साकार होती जा रही थीं।
- उन्होने अपना परिचय देते हुये कहा - मैं अंजूमन हॉस्प्टिल से डॉ . मेहता बोल रहा हूं , क्या आप मि . रवि शर्मा को जानते हैं , उनका एक्सीडेंट हो गया है , उनकी हालत ठीक नहीं है , उन्होने अर्द्धचेतन अवस्था में आपका फोन नं .
- मुझे अच्छी तरह याद है कि जब भी मुझे कुंए या ऊंचाई से गिरने जैसे सपने आते… मैंने उसे ध्यान से देखना और स्वीकार करना प्रारम्भ किया… अर्द्धचेतन अवस्था में मैंने अपने आपको कई बार गहरे कुँए में गिर जाने दिया और डरते हुए भी साहस कर के गिरते हुए देखता रहा…
- मुझे अच्छी तरह याद है कि जब भी मुझे कुंए या ऊंचाई से गिरने जैसे सपने आते … मैंने उसे ध्यान से देखना और स्वीकार करना प्रारम्भ किया … अर्द्धचेतन अवस्था में मैंने अपने आपको कई बार गहरे कुँए में गिर जाने दिया और डरते हुए भी साहस कर के गिरते हुए देखता रहा …
- विभ्रम की इस अवस्था में प्रतिभागी को श्रव्य-दृष्टि , गन्ध, स्वाद व स्पर्शात्मक क्षद्म संवेदी प्रत्यक्षीकरण होने लगते है और वह इन क्षद्म-अनुभवों को निरपेक्ष रुप से वास्तविक मानने लगता है, जबकि सच्चाई यह है कि उसका अर्द्धचेतन मन ही इन संवेदी उद्दीपनों को पैदा करता है, परन्तु वह इन संवेदी अनुभवों को उस स्थान विशेष पर किसी आत्मा या प्रेत जैसी किसी अलौकिक शक्ति के अस्तित्व के प्रमाण के रूप मे मानने के लिये बाध्य हो जाता है।
- मानव-मन अध्ययन की नवीनतम विधा मन-दर्शन के अन्वेषक मन-गुरु डॉ . आलोक ने इस शो के तकनीकी पहलू का विश्लेषण करते हुए बताया कि इस शो के प्रतिभागियों को पहले से ही यह बता दिया जाता है कि स्थान-विशेष पर कोई आत्मा या प्रेत मौजूद है, तो उसके अर्द्धचेतन मन मे पहले से ही एक आत्मसम्मोहित-भय जैसी मनःस्थिति पैदा हो जाती है और जब उसका मन कौतूहल व भय से भरा होता है, तो तमाम असमान्य अनुभूतियां होने की प्रबल सम्भावना हो जाती है।