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अनिष्टकारक meaning in Hindi

pronunciation: [ anisetkaarek ]
अनिष्टकारक meaning in English

Examples

  1. ज्योतिष शास्त्र के प्राचीन ग्रंथ बृहत्पाराशर होराशास्त्र और भृगु संहिता में विभिन्न ग्रहों की दशा-अन्तर्दशा में बनने वाले अनिष्टकारक योग की शांति के लिए शिवार्चन और रुद्राभिषेक का परामर्श दिया गया है।
  2. सो , कुण्डली अध्ययनोपरान्त जब वे किसी अनिष्टकारक योग की सूचना देते हैं तो लोग उसके निवारण का उपाय भी पूछते हैं और तब ही वे सारी बातें सामने आती हैं जो मैंने ऊपर लिखी हैं।
  3. ै स वृश्चिक लग्न में जन्मे व्यक्ति के लिए शुक्र , बुध और शनि अनिष्टकारक , गुरु , चंद्र अनुकूल , सूर्य , चंद्र योगकरक , मंगल सम और शुक्र पापी एवं मारक ग्रह होता है।
  4. यदि महादशा , अंतर्दशा तथा प्रत्यंतर दशा तीनों ही मारक और क्रूर ग्रहों के प्रभाव में हों , अनिष्ट निवारक ग्रह निर्बल हांे , अंतर्दशानाथ शुभ , परंतु प्रत्यंतर दशानाथ अनिष्टकारक ग्रह हो तो अनिष्ट की संभावना प्रबल होती है।
  5. इस व्यक्तित्व में जैसा हम पहले कहचुके हैं , अनिष्टकारक और मांगलिक गुणों का भी उसने आरोप किया तथा जो देवीदेऊ केवल दंड देते, कठोरता बरतते, अनिष्ट करते, वे अवसर पड़ने पर अब सहायताभी करने लगे, उनमें करूणा का भाव जागा और वे कल्याणकारी बन गए.
  6. इस व्यक्तित्व में जैसा हम पहले कहचुके हैं , अनिष्टकारक और मांगलिक गुणों का भी उसने आरोप किया तथा जो देवीदेऊ केवल दंड देते, कठोरता बरतते, अनिष्ट करते, वे अवसर पड़ने पर अब सहायताभी करने लगे, उनमें करूणा का भाव जागा और वे कल्याणकारी बन गए.
  7. कुछ ने केवल भद्रा के मुख को अनिष्टकारक मानकर केवल भद्रा मुख 18 : 10 से 20 : 10 तक समय छोड़कर विशेष रूप से भद्रा पंूछ में 16 : 58 से 18 : 10 तक रक्षाबंधन 20 अगस्त को ही मनानेे का निर्णय दिया।
  8. इसी प्रकार वर्तमान अनिष्टकारक समय मे ' बचाव व राहत प्राप्ति' हेतु उन्हें शुक्र मंत्र-“ॐ शु शूकराय नमः ” का जाप प्रतिदिन 108 बार पश्चिम की ओर मुंह करके और धरती व खुद के बीच इंसुलेशन बना कर अर्थात किसी ऊनी आसन पर बैठ कर करना चाहिए।
  9. जन्मकुंडली में तृतीय , षष्ठ व एकादश भाव में राहु उत्तम फलदायक होता है तथा लग्न , पंचम , नवम , दशम में भी अच्छा ही है , द्वितीय व सप्तम में मध्यम परंतु चतुर्थ , अष्टम व द्वादश भाव में स्थित राहु अनिष्टकारक होता है।
  10. सर्व ग्रह अनिष्टकारक टोटका आक , धतूरा , अपामार्ग ( चिरचिटा ) दूध बरगद का , पीपल की जड़ , शमी ( शीशम ) आम व गूलर के पत्ते एक मिट्टी के नये कलश में भरकर उसमें गाय का दूध , घी , मट्ठा व गोमूत्र डालें।
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