अकल्याणकारी meaning in Hindi
pronunciation: [ akelyaanekaari ]
Examples
- भारत में विज्ञान के विकास की बात बहुत की जाती है पर उसका दुष्परिणाम लिंग परीक्षण के बाद कन्या भ्रुण हत्या के रूप में सामने आ रहा है मतलब हमारा विकास भी नारियों के लिये अकल्याणकारी प्रवृतियां समाज में लाया है।
- भारत में विज्ञान के विकास की बात बहुत की जाती है पर उसका दुष्परिणाम लिंग परीक्षण के बाद कन्या भ्रुण हत्या के रूप में सामने आ रहा है मतलब हमारा विकास भी नारियों के लिये अकल्याणकारी प्रवृतियां समाज में लाया है।
- वहां भी मैंने यही बात कही कि आप विश्वशांति की बात करते हैं लेकिन अंदर अशांति रहेगी तो बाहर शांति कैसे होगी ? दुनिया के राजनेता , रणनीतिकार शांतभाव से जब कोई योजना बनाएंगे तो वह अकल्याणकारी कैसे हो सकती है ?
- चूंकि प्रबुद्ध जनमानस अकल्याणकारी व्यवस्था के दोषों को पहचान कर , प्रतिकार स्वरूप उस व्यवस्था को बदलने में समर्थ होता है अथवा विरोध करते हुए अप्रीतिकर कल्याणकारी व्यवस्था को परेशानी में डाले रखता है , अतः ये व्यवस्थाएं मनुष्य के विवेकबोध से घबराती हैं .
- पहले मैं सोचता था कि सामूहिक रूप से जो भी अकल्याणकारी कृत्य हैं उन्हें यदि समाज नहीं रोक सकता तो यह उत्तरदायित्व स्थानीय प्रशासन का होना चाहिए . ... आखिर उनका उत्तरदायित्व है क्या ? प्रदूषण जैसे अतिसंवेदनशील विषयों पर हम सकारात्मक और क्रियात्मक रूप से कब जागरूक हो सकेंगे ?
- पर इसके साथ ही मैने यह भी अनुभव किया हैं कि जहाँ सत्य की ही साधना और उपासना होती है , वहाँ भले परिणाम हमारी धारणा के अनुसार न निकले , फिर भी जो अनपेक्षित परिणाम निकलता हैं वह अकल्याणकारी नहीं होता और कई बार अपेक्षा से अधिक अच्छा होता है ।
- मोहदत्त ने ‘ हिन्दी की वाम कविता का सौन्दर्य-शास्त्र ' शीर्षक निबंध में लिखा है , ” इस संसार में जो कुछ श्रेष्ठ तथा सुन्दर है और जो मनुष्य तथा समाज को श्रेयस्कर है , उस सबका सरोकार वाम कविता से है और जो अकल्याणकारी , निकृष्ट , जघन्य तथा निम्नतम है ;
- एक ओर मानव ने विज्ञान , तकनीकि और यांत्रिकी में विकास एवं उसका उपयोग करके अपार समृद्धि प्राप्त की है , वहीँ दूसरी ओर मानव ने स्वार्थ , लोभ , हिंसा आदि भावनाओं के वशीभूत होकर आपसी कलह , लूट खसूट , अतिक्रमण आदि का अकल्याणकारी और विनाशकारी मार्ग भी अपनाया है .
- पुत्रादपि धनभजाम् भीतिः , सर्वत्रैषा विहिता रीतिः ॥ २ ९ ॥ धन अकल्याणकारी है और इससे जरा सा भी सुख नहीं मिल सकता है , ऐसा विचार प्रतिदिन करना चाहिए | धनवान व्यक्ति तो अपने पुत्रों से भी डरते हैं ऐसा सबको पता ही है ॥ २ ९ ॥ प्राणायामं प्रत्याहारं , नित्यानित्य विवेकविचारम्।