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अकल्याणकारी meaning in Hindi

pronunciation: [ akelyaanekaari ]
अकल्याणकारी meaning in English

Examples

  1. भारत में विज्ञान के विकास की बात बहुत की जाती है पर उसका दुष्परिणाम लिंग परीक्षण के बाद कन्या भ्रुण हत्या के रूप में सामने आ रहा है मतलब हमारा विकास भी नारियों के लिये अकल्याणकारी प्रवृतियां समाज में लाया है।
  2. भारत में विज्ञान के विकास की बात बहुत की जाती है पर उसका दुष्परिणाम लिंग परीक्षण के बाद कन्या भ्रुण हत्या के रूप में सामने आ रहा है मतलब हमारा विकास भी नारियों के लिये अकल्याणकारी प्रवृतियां समाज में लाया है।
  3. वहां भी मैंने यही बात कही कि आप विश्वशांति की बात करते हैं लेकिन अंदर अशांति रहेगी तो बाहर शांति कैसे होगी ? दुनिया के राजनेता , रणनीतिकार शांतभाव से जब कोई योजना बनाएंगे तो वह अकल्याणकारी कैसे हो सकती है ?
  4. चूंकि प्रबुद्ध जनमानस अकल्याणकारी व्यवस्था के दोषों को पहचान कर , प्रतिकार स्वरूप उस व्यवस्था को बदलने में समर्थ होता है अथवा विरोध करते हुए अप्रीतिकर कल्याणकारी व्यवस्था को परेशानी में डाले रखता है , अतः ये व्यवस्थाएं मनुष्य के विवेकबोध से घबराती हैं .
  5. पहले मैं सोचता था कि सामूहिक रूप से जो भी अकल्याणकारी कृत्य हैं उन्हें यदि समाज नहीं रोक सकता तो यह उत्तरदायित्व स्थानीय प्रशासन का होना चाहिए . ... आखिर उनका उत्तरदायित्व है क्या ? प्रदूषण जैसे अतिसंवेदनशील विषयों पर हम सकारात्मक और क्रियात्मक रूप से कब जागरूक हो सकेंगे ?
  6. पर इसके साथ ही मैने यह भी अनुभव किया हैं कि जहाँ सत्य की ही साधना और उपासना होती है , वहाँ भले परिणाम हमारी धारणा के अनुसार न निकले , फिर भी जो अनपेक्षित परिणाम निकलता हैं वह अकल्याणकारी नहीं होता और कई बार अपेक्षा से अधिक अच्छा होता है ।
  7. मोहदत्त ने ‘ हिन्दी की वाम कविता का सौन्दर्य-शास्त्र ' शीर्षक निबंध में लिखा है , ” इस संसार में जो कुछ श्रेष्ठ तथा सुन्दर है और जो मनुष्य तथा समाज को श्रेयस्कर है , उस सबका सरोकार वाम कविता से है और जो अकल्याणकारी , निकृष्ट , जघन्य तथा निम्नतम है ;
  8. एक ओर मानव ने विज्ञान , तकनीकि और यांत्रिकी में विकास एवं उसका उपयोग करके अपार समृद्धि प्राप्त की है , वहीँ दूसरी ओर मानव ने स्वार्थ , लोभ , हिंसा आदि भावनाओं के वशीभूत होकर आपसी कलह , लूट खसूट , अतिक्रमण आदि का अकल्याणकारी और विनाशकारी मार्ग भी अपनाया है .
  9. पुत्रादपि धनभजाम् भीतिः , सर्वत्रैषा विहिता रीतिः ॥ २ ९ ॥ धन अकल्याणकारी है और इससे जरा सा भी सुख नहीं मिल सकता है , ऐसा विचार प्रतिदिन करना चाहिए | धनवान व्यक्ति तो अपने पुत्रों से भी डरते हैं ऐसा सबको पता ही है ॥ २ ९ ॥ प्राणायामं प्रत्याहारं , नित्यानित्य विवेकविचारम्।
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