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वरूथिनी एकादशी meaning in Hindi

pronunciation: [ veruthini aadeshi ]
वरूथिनी एकादशी meaning in English

Examples

  1. • कामदा एकादशी • वरूथिनी एकादशी • मोहिनी एकादशी • अपरा एकादशी • निर्जला एकादशी • योगिनी एकादशी • देवशयनी एकादशी • कामिका एकादशी • पुत्रदा एकादशी • अजा एकादशी • परिवर्तिनी एकादशी • इंदिरा एकादशी • पापांकुशा एकादशी • रमा एकादशी • देव प्रबोधिनी एकादशी • उत्पन्ना एकादशी •
  2. वरूथिनी एकादशी व्रत एवं महात्म्य व्रत महात्म्य : पाण्डु पुत्र युधिष्ठिर ने जब श्री कृष्ण से पूछा कि भगवन् वैसाख कृष्ण पक्ष की एकादशी को क्या कहते हैं और इस व्रत का क्या विधान एवं महत्व है तब श्री कृष्ण ने पाण्डु पुत्र सहित मानव कल्याण के लिए इस व्रत का वर्णन किया।
  3. • कामदा एकादशी • वरूथिनी एकादशी • मोहिनी एकादशी • अपरा एकादशी • निर्जला एकादशी • योगिनी एकादशी • देवशयनी एकादशी • कामिका एकादशी • पुत्रदा एकादशी • अजा एकादशी • परिवर्तिनी एकादशी • इंदिरा एकादशी • पापांकुशा एकादशी • रमा एकादशी • देव प्रबोधिनी एकादशी • उत्पन्ना एकादशी • मोक्षदा एकादशी • सफला एकादशी • पुत्रदा
  4. तब राजा मान्धाता ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की भक्त वत्सल भगवान प्रकट हुए तथा उस भालू को सुदर्शन चक्र से मार डाला तथा कहा वत्स मथुरा में जाकर तुम मेरी वराह प्रतिमा की पूजा वरूथिनी एकादशी का व्रत रखकर करो उसके प्रभाव से पुनः सर्वांग हो जाओगे जिस भालू ने तुम्हे काटा है वह तुम्हारा पूर्वजन्म का अपराध था।
  5. पद्मपुराण में वरूथिनी एकादशी के विषय में तथ्य प्राप्त होते हैं जिसके अनुसार भगवान श्रीकृष्ण युधिष्ठिर के पूछने पर की वैशाख माह के कृष्णपक्ष की एकादशी का फल एवं महात्मय क्या है तो उनके इस कथन पर भगवान उन्हें कहते हैं कि हे धर्मराज लोक और परलोक में सौभाग्य प्रदान करने वाली है वरूथिनी एकादशी के व्रत करने से साधक को लाभ की प्राप्ति होती है तथा उसके पापों का ना श . ..
  6. पद्मपुराण में वरूथिनी एकादशी के विषय में तथ्य प्राप्त होते हैं जिसके अनुसार भगवान श्रीकृष्ण युधिष्ठिर के पूछने पर की वैशाख माह के कृष्णपक्ष की एकादशी का फल एवं महात्मय क्या है तो उनके इस कथन पर भगवान उन्हें कहते हैं कि हे धर्मराज लोक और परलोक में सौभाग्य प्रदान करने वाली है वरूथिनी एकादशी के व्रत करने से साधक को लाभ की प्राप्ति होती है तथा उसके पापों का ना श . ..
  7. कृपया उसकी महिमा बताइए॥ >भगवान् श्रीकृष्ण बोले : “राजन ! वैशाख (गुजरात महाराष्ट्र के अनुसार चैत्र) कृष्ण पक्ष की एकादशी 'वरूथिनी' नाम से प्रसिद्द है॥ यह इस लोक और परलोक में भी सौभाग्य प्रदान करनेवाली है॥ 'वरूथिनी' के व्रत से सदा सुख की प्राप्ति और पाप की हानि होती है॥ 'वरूथिनी' के व्रत से ही मान्धाता तथा धुन्धुकुमार आदि अन्य अनेक राजा स्वर्गलोक को प्राप्त हुए हैं॥ जो फल दस हज़ार वर्षों तक तपस्या करने के बाद मनुष्य को प्राप्त होता है, वही फल इस 'वरूथिनी एकादशी' का व्रत रखने मात्र से प्राप्त होता जाता है॥ नृपश्रेष्ठ!!
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