रोगप्रतिकारक meaning in Hindi
pronunciation: [ rogapertikaarek ]
Examples
- यद्यपि ये रोगप्रतिकारक वायरस को नष्ट नहीं कर सकते हैं , एक रक्त परीक्षण बता सकता है कि व्यक्ति में यह रोगप्रतिकारक हैं, इसका अर्थ है कि वह पुरुष या महिला एचआईवी से संक्रमित है।
- प्लाज्मा ( plasma) के आधान के सन्दर्भ में यह स्तिथि उल्ट हो जाती है O प्रकार का प्लाज्मा केवल O प्राप्तकर्ता को दिया जा सकता है, जबकि AB प्लाज्मा (जिस में anti-A या anti-B रोगप्रतिकारक नहीं होते)
- शरीर पुष्ट एवं बलवान बनता है और चेहरे की कांती बढती है | यह रोगप्रतिकारक शक्ती बढाकर ऋतु - परिवर्तनजन्य रोगों से रक्षा करता है | इसके सेवन से दिनभर शरीर में उत्साह , प्रसन्नता एवं स्फूर्ती बनी रहती है |
- यह रोगप्रतिकारक बीमारी से लड़ने में सबसे प्रभावकारी है और रोगाणु इन रोगप्रतिकारकों के प्रति कभीभी प्रतिरोधकता नहीं विकसित कर सकते हैं क्योंकि वे जीवाणु द्वारा उत्पन्न एंटीजेन या विष की प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप शरीर के तत्कालिक उत्पाद होते हैं।
- लायनस पोलिन इंस्टीच्युट के अनुसार फॉस्फेट एक ऐसा अत्यावश्यक मिनरल है , जो शरीर की सामान्य कार्यप्रणाली की हर कोशिका के लिए जरुरी है साथ ही, हमारी रोगप्रतिकारक प्रणाली के सामान्य रूप से काम करने के लिए भी विटामिन ए जरुरी है |
- के रोगप्रतिकारक प्रतिपिंड निश्चित रूप से भ्रमण करते रहते हैं , तो प्रतिजन उनसे मिलकर निष्प्रभाव हो जाया करते हैं और जब वे कोशिकाओं में स्थिर हो जाते हैं तो प्रतिजन से मिलकर हिस्टामिन की उत्पत्ति करते हैं, जिसके कारण तीव्रग्राहिताजन्य प्रतिक्रिया होती है।
- लायनस पोलिन इंस्टीच्युट के अनुसार फॉस्फेट एक ऐसा अत्यावश्यक मिनरल है , जो शरीर की सामान्य कार्यप्रणाली की हर कोशिका के लिए जरुरी है साथ ही , हमारी रोगप्रतिकारक प्रणाली के सामान्य रूप से काम करने के लिए भी विटामिन ए जरुरी है |
- ५ किलो ) वायु भी लेता है | इसलिए स्वास्थ्य की सुरक्षा हेतु शुद्ध वायु अत्यंत आवश्यक है | प्रदूषणयुक्त , ऋण - आयनों की कमी वाली ओजोनरहित हवा से रोगप्रतिकारक शक्ति का ह्रास होता है व कई प्रकार की शारीरिक-मानसिक बीमारियाँ होती हैं |
- जापानी वैज्ञानिकों द्वारा किये गये शोध से यह सिद्ध हुआ है कि प्रसूति के समय स्रावितच होने वाले 95% योनिगत द्रव्य हितकर जीवाणुओं से युक्त होते हैं , जो सामान्य प्रसूति में शिशु के शरीर में प्रविष्ट होकर उसकी रोगप्रतिकारक शक्ति और पाचनशक्ति को बढ़ाते हैं।
- यकृत और लसीका तंत्र में बने नये रोगप्रतिकारकों द्वारा समय-समय पर सुदृढ़ होने के कारण , वे रक्त की धारा में लम्बे समय तक बने रहते हैं, इसलिए यदि वही रोगाणु लौटता है, तो उपयुक्त रोगप्रतिकारक उनके आक्रमण का प्रतिरोध करने के लिए इंतज़ार करते हैं।