रक्तवर्णी meaning in Hindi
pronunciation: [ rektevreni ]
Examples
- फिर लाल जिरकॉन चिर परिचित अन्दाज मे , यह शक्ति को सम्बोधित करते हैं, जो इंसान अपनी सहज भावुकता से परेशान होते हैं इसका उपयोग कर सकते हैं, चिकित्सा के क्षेत्र मे इसकी भुमिका अलग अन्दाज मे है, जिस किसी बिमारी मे रक्तवर्णी चिकित्सा दी जाने वाली हो, इसे सबसे ऊपर रखते हैं।
- अज्ञात रावण ' जिसे पढ़ते हुए कालजयी नाट्य कृति ' अँधा युग ' की सघन संवेदनात्मक और विश्लेषात्मक कालभेदी दृष्टि स्मरण हो आती है , जो काल के काले पन्नों के रक्तवर्णी अर्थ संवेगों का अनुसन्धान करती पाठक दर्शक के मर्म को कटघरे में दाखिल होने के लिए विवश कर देती है . '
- सुरपुरी की सुमन वाटिका से चली चन्द पुरबाईयों को समेटे हुये लालिमायें उषा के चिबुक से उठा सांझ की ओढ़नी में लपेटे हुय्र दूधिया रश्मियां केसरी रंग में घोल कर चित्र में ला सजाते हुये रक्तवर्णी गुलाबों से ले पांखुरी शतदली बूटियों में लगाते हुये उर्वशी के पगों से महावर लिए प्रीत की अल्पनायें सजी हैं प्रिये
- फिर लाल जिरकॉन चिर परिचित अन्दाज मे , यह शक्ति को सम्बोधित करते हैं , जो इंसान अपनी सहज भावुकता से परेशान होते हैं इसका उपयोग कर सकते हैं , चिकित्सा के क्षेत्र मे इसकी भुमिका अलग अन्दाज मे है , जिस किसी बिमारी मे रक्तवर्णी चिकित्सा दी जाने वाली हो , इसे सबसे ऊपर रखते हैं।
- श्री त्रिमुख गणपति - तीन मुख वाले , छ : भुजाधारी , रक्तवर्ण शरीरधारी श्री योग गणपति - योगमुद्रा में विराजित , नीले वस्त्र पहने , चार भुजाधारी श्री सिंह गणपति - श्वेत वर्णी आठ भुजाधारी , सिंह के मुख और हाथी की सूंड वाले श्री संकष्ट हरण गणपति - चार भुजाधारी , रक्तवर्णी शरीर , हीरा जडि़त मुकूट पहने।
- श्री त्रिमुख गणपति - तीन मुख वाले , छ : भुजाधारी , रक्तवर्ण शरीरधारी श्री योग गणपति - योगमुद्रा में विराजित , नीले वस्त्र पहने , चार भुजाधारी श्री सिंह गणपति - श्वेत वर्णी आठ भुजाधारी , सिंह के मुख और हाथी की सूंड वाले श्री संकष्ट हरण गणपति - चार भुजाधारी , रक्तवर्णी शरीर , हीरा जडि़त मुकूट पहने।
- गहरी कृष्णवर्ण पृष्ठभूमि में निहित प्राइवेसी / गोपनीयता / अमुक्त अनिश्चित सत्य की तुलना में काव्य संकलन शीर्षक और कवि के नाम का धवलवर्णी प्राकट्य और रक्तवर्णी दो बिंदुओं का छोटा सा संयोजन कहता है कि कवि सायास ही ज्यादातर अव्यक्त (श्यामवर्ण) रहते हुए केवल दो रंगों की शब्द / रेखीय लघुता में नियोजित ढंग से प्रकट / अभिव्यक्त होता है !
- मुझसे पुछो तो मानती हूँ , कि हमारे आस पास कई तरह की नकरात्मक किरणे घुमती रहती हैं , जो हमारे दिलो-दिमाग पर गहरा असर डालती हैं , यह सारा खेल उन्ही किरणो से बचने का है , जिसमे अलग अलग वस्तुये मददगार हैं इस श्रृंखला मे विशेष बीज मंत्र से और रक्तवर्णी किरणो से ऊजांवित यह ताबीज बहुत काम आता है।
- वाकई कमाल का है . .. जो लोग भुत-प्रेत मानते हैं उनके लिये.... मुझसे पुछो तो मानती हूँ, कि हमारे आस पास कई तरह की नकरात्मक किरणे घुमती रहती हैं, जो हमारे दिलो-दिमाग पर गहरा असर डालती हैं, यह सारा खेल उन्ही किरणो से बचने का है, जिसमे अलग अलग वस्तुये मददगार हैं इस श्रृंखला मे विशेष बीज मंत्र से और रक्तवर्णी किरणो से ऊजांवित यह ताबीज बहुत काम आता है।
- मेरी इस कशमकश के साक्ष्य बतौर आप काव्य संकलन के कलेवर की सज्जा / आवरण पृष्ठ के रंग संयोजन पे गौर फरमाइये ! गहरी कृष्णवर्ण पृष्ठभूमि में निहित प्राइवेसी / गोपनीयता / अमुक्त अनिश्चित सत्य की तुलना में काव्य संकलन शीर्षक और कवि के नाम का धवलवर्णी प्राकट्य और रक्तवर्णी दो बिंदुओं का छोटा सा संयोजन कहता है कि कवि सायास ही ज्यादातर अव्यक्त (श्यामवर्ण) रहते हुए केवल दो रंगों की शब्द /रेखीय लघुता में नियोजित ढंग से प्रकट / अभिव्यक्त होता है !