×

मृत्यु-लोक meaning in Hindi

pronunciation: [ meriteyu-lok ]
मृत्यु-लोक meaning in English

Examples

  1. बीच के पन्नों में गत वर्ष जन्मशताब्दी के अवसर पर अपेक्षाकृत कम याद किए गए गोपाल सिंह नेपाली की प्रसिद्ध कविता ‘ रोटियों का चंद्रमा ' ( रोटियों का चंद्रमा , बादलों के पार है , / और मृत्यु-लोक में , रोज़ इंतज़ार है .
  2. इसी दौरान पार्वती को स्मरण हो आया और वे बोलीं , ` स्वामी ! आपने एक बार मेरे द्वारा ` पंच-परमेश्वर ' शब्द पर आपत्ति करने पर मृत्यु-लोक की पंचायतों की प्रशंसा करते हुए मुझे पंचायतों की न्याय प्रणाली का अवलोकन कराने का वायदा किया था।
  3. ऐसे भला कैसे हो सकता है ? ऐसा तो हो ही नहीं सकता | ऐसा तभी हो सकता है यदि कोई राजा भला हो , राजा के कर्मचारी भले हो | पर मृत्यु-लोक के राजा भले नहीं हो सकते , कोई न कोई कमी जरूर होती है |
  4. भावार्थ : वेदों के अनुसार इस मृत्यु-लोक से जाने के दो ही शाश्वत मार्ग है - एक प्रकाश का मार्ग और दूसरा अंधकार का मार्ग , जो मनुष्य प्रकाश मार्ग से जाता है वह वापस नहीं आता है , और जो मनुष्य अंधकार मार्ग से जाता है वह वापस लौट आता है।
  5. किन्तु यदि वे फिर से भ्रष्टाचार , अनाचार , झूठ और फरेब की जीती-जागती तस्वीरें बन गए तो हम उन्हें पत्थर के सनम ही समझेंगे और हमें बड़ा अफसोस होगा कि सोते-सोते , बिना तकलीफ झेले इस बेदर्द मृत्यु-लोक से मुक्ति पाकर पत्थर बन जाने का सुयोग हमने व्यर्थ ही गँवा दिया।
  6. भावार्थ : वह जीवात्मा उस विशाल स्वर्ग-लोक के सुखों का भोग करके पुण्य-फ़लो के समाप्त होने पर इस मृत्यु-लोक में पुन : जन्म को प्राप्त होते हैं , इस प्रकार तीनों वेदों के सिद्धान्तों का पालन करके सांसारिक सुख की कामना वाले ( सकाम-कर्मी ) मनुष्य बार-बार जन्म और मृत्यु को प्राप्त होते रहते हैं।
  7. विश्वामित्र की यह बात सुन कर इन्द्र ने कहा- ' हे मुनि जन ! अभी-अभी नारद मुनि जी यहां आए थे | वह मृत्यु-लोक से भ्रमण करके आए थे | उन्होंने बताया है कि पृथ्वी पर राजा हरीशचन्द्र ऐसा है जिसे लोग सत्यवादी कहते हैं | वह पुण्य दान और धर्म-कर्म करके बहुत आगे चला गया है | '
  8. मृत्यु-लोक पर राजा हरीशचंद्र है | वह चक्रवती राजा बन गया है | वह दान-पुण्य करता है , ब्राह्मणों को गाय देता है तथा अगर कोई जरूरत मंद आए तो उसकी जरूरत पूरी करता है , सत्यवादी राजा है | वह कभी झूठ नहीं बोलता | होम यज्ञ होते रहते हैं | राजा नेक और धर्मी होने के कारण प्रजा भी ऐसी ही है |
  9. नारद मुनि इन्द्र लोक से चले गए | इन्द्र चिंता में डूब गया | अभी वह सोच ही रहा था कि उसके महल में विशवामित्र आ गया | विश्वामित्र ने कई हजार साल तपस्या की थी तब वह मृत्यु-लोक से स्वर्ग-लोक में पहुंचा था | वह बहुत प्रभावशाली था | उसने जब इन्द्र की तरफ देखा तो चेहरे से ही उसके मन की दशा को समझ गया |
  10. ' हिन्दुओं ' ने भी ऐसे ही , किन्तु आधे-अधूरे ' आधुनिक वैज्ञानिक ' समान नहीं ( जो हर दिन कोई पुराने सत्य को नकार एक नया सच ले आते हैं , और जानते भी हैं कि अभी गंतव्य तो बहुत बहुत दूर है : ) , खोजने का प्रयास किया कि पहले आदमी आया या पृथ्वी ग्रह , यानी ' मृत्यु-लोक ' ? जो सब जीवों को , बिल्ली समान चूहे से खेल , अंततोगत्वा खा जाती है ...
More:   Prev  Next


PC Version
हिंदी संस्करण


Copyright © 2023 WordTech Co.