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मनोमुग्धकारी meaning in Hindi

pronunciation: [ menomugadhekaari ]
मनोमुग्धकारी meaning in English

Examples

  1. कभी-कभी दर्शक को ऐसा भ्रम होता था कि यह अशोकवाटिका का नहीं कुबेर का विश्वविख्यात गंधमादन पर्वत है जिसमें वसन्त की मनोमुग्धकारी समीर सुगन्धित पुष्पों के मकरन्द को ले कर सम्पूर्ण वातावरण को आप्लावित कर रही है।
  2. भारत उन पावन एवं पुष्पाच्छादित पर्वत-भूमियों के विविधतापरक परन्तु मनोमुग्धकारी सम्मिश्रण की धरती है जोकि देखने योग्य दृश्य हैं और ऐसे सभी लोगों के लिए अवश्य ही जाने योग्य है जिनके मन में यायावर भ्रमण की उत्कंठा है।
  3. चलते चलते वे वन के अन्धकार से निकल कर ऐसे स्थान पर पहुँचे जो भगवान भास्कर के दिव्य प्रकाश से आलोकित हो रहा था और सामने नाना प्रकार के सुन्दर वृक्ष , मनोरम उपत्यका एवं मनोमुग्धकारी दृश्य दिखाई दे रहे थे।
  4. चलते चलते वे वन के अन्धकार से निकल कर ऐसे स्थान पर पहुँचे जो भगवान भास्कर के दिव्य प्रकाश से आलोकित हो रहा था और सामने नाना प्रकार के सुन्दर वृक्ष , मनोरम उपत्यका एवं मनोमुग्धकारी दृश्य दिखाई दे रहे थे।
  5. गँगा आये कहाँ से रे गँगा जाये कहाँ रे , लहराये पानी मेँ जैसे धूप ~ छाँव रे ” यह सौम्य स्वर लहरी हेमँत दा की सुनतीँ हूँ तब हिन्दी भाषा का मनोमुग्धकारी विन्यास मन को ठीठका कर स्तँभित कर देता है ..
  6. गँगा आये कहाँ से रे गँगा जाये कहाँ रे , लहराये पानी मेँ जैसे धूप ~ छाँव रे ” सौम्य स्वर लहरी हेमँत दा की सुनतीँ हूँ तब हिन्दी भाषा का मनोमुग्धकारी विन्यास मन को ठीठका कर , स्तँभित कर देता है ..
  7. ऐसा सँत विनोबा भावे जी का कहना है और आज यह हिन्दी की भागीरथी विश्व के हर भूखँड मेँ बहती है जहाँ कहीँ एक भारतीय बसता है मेरी कविता मेँ मैँने कहा है , “ हम भारतीय जन मन मेँ कहीँ गँगा छिपी हुई है ” “ गँगा आये कहाँ से रे गँगा जाये कहाँ रे,लहराये पानी मेँ जैसे धूप ~ छाँव रे ” यह सौम्य स्वर लहरी हेमँत दा की सुनतीँ हूँ तब हिन्दी भाषा का मनोमुग्धकारी विन्यास मन को ठीठका कर स्तँभित कर देता है ..
  8. ऐसा सँत विनोबा भावे जी का कहना है और आज यह हिन्दी की भागीरथी विश्व के हर भूखँड मेँ बहती है जहाँ कहीँ एक भारतीय बसता है मेरी कविता मेँ मैँने कहा है , “ हम भारतीय जन मन मेँ कहीँ गँगा छिपी हुई है ” “ गँगा आये कहाँ से रे गँगा जाये कहाँ रे , लहराये पानी मेँ जैसे धूप ~ छाँव रे ” यह सौम्य स्वर लहरी हेमँत दा की सुनतीँ हूँ तब हिन्दी भाषा का मनोमुग्धकारी विन्यास मन को ठीठका कर स्तँभित कर देता है ..
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